पिछली बार मैंने मां के बारे में तो बहुत कुछ लिख दिया
बहुत कुछ सुना दिया,
लोगों ने भी वाह वाई में अपना खत भेज दिया
लिखते लिखते मेरी कलम ने भी मुंह मोड़ लिया
अंदर सिमटे जज्बात, मेरे दिल के हालात
वो खूनी अश्रुधारा सब बाहर आ गए
पर इन सब बातों में पापा, आप कहीं पर खो गए
आप कहीं पर खो गए
पता नहीं,
हर बार विलेन आपको ही क्यों बना दिया जाता है
आप ने जो बोल दिया , वो तो अब पत्थर की लकीर समान है
जिसे घर का कोई भी मिटा नहीं सकता
हर बार ऐसा जता दिया जाता है
मम्मी भी हर बार मेरी शैतानी का अकाउंट
अपने पास रखती है
शायद आपकी डांट से ही मेरी बैलेंस शीट मैच होगी
ऐसा वो समझती है
आगाज तो मैंने उसी दिन कर दिया था
पर पापा की बात न करूं तो कुछ अधूरा छूट जाएगा
आगाज को अंजाम तक लाना मुमकिन न हो पाएगा
अंदर ही अंदर में बिलबिला जाऊंगा
रुधिर भी थम सा जाएगा
ये पूरा जग भी रुक सा जाएगा
बचपन में सब के पास एक सुपरहीरो थे,
सबके पास एक रोल मॉडल थे, पापा
पर मेरे पास आप नहीं थे, पापा
पता नहीं क्यों?
आखिर मुझसे ऐसी क्या खता हो गई
कि आप ने मेरी उंगली बहुत ही जल्द छोड़ दी
आपने मुझसे मेरी राह मोड़ ली
जिस उम्र में मुझे आपकी सबसे ज्यादा जरूरत थी
उसी समय आप मुझसे उतने ज्यादा दूर चले गए
जहां पर न कोई फोन लगता है
न कोई इंस्टाग्राम, न कोई टेलीग्राम
बहुत सी शिकायतें हैं आपसे
बहुत सी बातें करनी है आपसे
मेरी कलम ने अपना पूरा जोर पकड़ लिया है
जबसे मैंने आपके बारे में सोचना शुरू कर दिया है
लोग तो बड़ी बड़ी बातें करते हैं
कि अंधेरे के बाद सवेरा होता ही है
पर मेरा रविवार का वो सवेरा तो अंधेरे में तब्दील हो गया था
जब से मम्मी और पपा बोलना मेरे लिए बंदिश हो गया था
नियती ने जब मेरे साथ एक भद्दा मजाक किया था
या नियती ने ही रुकने का सुझाव दिया था
मेरी भी इच्छा थी की
में आपके कंधे के सहारे पूरी दुनिया देखूं,
मेले में मैं जिस चीज पर भी हाथ रखूं
वो मेरे आंगन में पहुंच जाती
कभी साइकिल तो कभी रेलगाड़ी की सैर हो पाती
पर जब भी मुझे आपके बारे में पूछा जाता
तो मौन के अलावा में और क्या बोल पाता
क्योंकि मेरी उतनी हैसियत ही नहीं
कि में आपको छू पाता
और लोगों से कह पाता,
देखो दोस्तो,
ये है मेरे सुपरहीरो, मेरे रोल मॉडल, मेरे पापा
आप आसमान में कहीं दूर चले गए हो
उन बादलों के पार,
जहां पर मैं अभी पहुंच नहीं सकता
अपने विचार पहुंचा नहीं सकता
आपके बारे में बात तो कर सकता हूं
पर आपसे मिलकर आपको सुना नहीं सकता
मेरी पेंटिंग्स दिखा नहीं सकता
कविताएं सुना नहीं सकता
आंसू गिना नहीं सकता
और आपसे मिल भी नहीं सकता
लोग पृथ्वी लोक पर ऐसी कहानियां सुनाते है कि
मरने के बाद इंसान एक तारा बन जाता है
लोगों के विचार का सहारा बन जाता है
अगर ये सच है तो
आपके बाजू में मेरी भी एक सीट बुक करवा देना
बच्चा समझकर, अक्ल का थोड़ा कच्चा समझकर
मेरी भी एक जिद पूरी करवा देना
राइट साइड मां, लेफ्ट साइड पापा
और बीच में मैं,
ऐसी छोटी सी दुनिया बसा देना
नहीं चाहिए दौलत,
क्योंकि पापा की फटी जेब से कीमती दौलत
आज तक इस दुनिया में नहीं बनी
बच्चों की हर जिद को पूरी करती हुई बिरादरी
आज तक नहीं बनी
फटे मौजे और पुराने जूते के सहारे पूरा साल
निकालने वाली बिरादरी आज तक नहीं बनी
अंदर दुखों का सैलाब जलाकर
बाहर हंसी के मोती बिखरानेवाली बिरादरी
आज तक नहीं बनी
भले ही दिवाली पर आपके लिए कपड़े आए या न आए
पर कितनी भी कटौती होने के बावजूद
अपने परिवार के लिए नए कपड़े लानेवाली बिरादरी
आज तक नहीं देखी
अगर ऐसा कोई है
तो वो सिर्फ और सिर्फ आप ही हो
मेरे सुपरहीरो, मेरे रोल मॉडल, मेरे पापा
पता नहीं,
इतनी हिम्मत लाते कहां से हो
कभी अपनी मां की सुनना,
तो कभी मेरी मां की सुनना
तो कभी अपने बच्चों की जिद के आगे नतमस्तक होना
बिन बात ही गुड की तरह पीसना
और उफ तक न करना
मां के बारे में तो बहुत कुछ लिखा जा चूका है
हररोज लिखा जा रहा है
पर आप का जिक्र करने में आज भी लोग जीजकते है
शायद इसी लिए
कि आपके नाम से भी लोग बिलखते है
और सच बताऊं?
तो लोग आज भी आपको थोड़ा कम ही समझते है
मैं आज आपसे एक बात साझा करना चाहता हूं
आप सुन रहे होगे या नहीं ये तो पता नहीं
पर मैं आपसे एक बात पूछना चाहता हूं
ये दुनिया इतनी जालिम क्यों लग रही है, पापा
बिन मां बाप के बच्चे को लोग लावारिश बोल देते है
मैं, जिंदा भी हूं या इस अनंत ब्रह्मांड में दफन हो चुका हूं
ये पूछना भी लोग जरूरी नहीं समझते है
अब इसमें मेरी क्या गलती है
आप ही बताइए
अगर मुझसे पहले आपने रिजर्वेशन करवा दिया
तो उसमें मेरी क्या गलती
आप ही बताइए, आप ही समझाइए
पर एक बात याद रखना पापा,
अगले जन्म में मुझे रिश्वत देनी पड़े
या कुछ भी करना पड़े
लेकिन पहली टिकट तो मेरी ही कटनी है
लगाएंगे एक लम्बी रेस,
देखते हैं, कौन जीतता है
आपकी जिद या मेरा पागलपन
खैर, ये सब तो मजाक की बात हो गई
लेकिन एक सच बात बताऊं...पापा
आजकल न सबको बस अपनी ही सुननी है
कोई मेरी तो सुनना ही नहीं चाहता
बहुत सारी बातें करना चाहता हूं
बहुत कुछ बताना चाहता हूं
पर जब भी कुछ कहने की कोशिश करता हूं
सब अनदेखा कर देते हैं
जब भी कभी बोलने का साहस करता हूं
सब अनसुना कर देते हैं
पर कोई बात नहीं... पापा
अब तो मैंने कलम को ही अपना हथियार बना लिया है
कोरे कागज़ को मैंने अपना साथीदार बना दिया है
जब भी कुछ अंदर पनपता है
कोई कोरे जज्बात को छेड़ता है
तब कलम की स्याही निकलती है
और जज्बात छप से जाते हैं
आंसू निकल ही आते हैं
जो कुछ भी में दुनिया के बारे में सोचता हूं
जैसे में दुनिया को देखता हूं
जो भी मेरे अनुभव है
जो भी मेरे विचार है
जब भी कभी emotionaly hurt हुआ हूं
जब भी कभी दिल जुड़ा है
जब भी कभी दिल टूटा है
तब अंत में तो आप ही याद आते हो
मेरे सुपरहीरो, मेरे रोल मॉडल, मेरे पापा
जब भी कभी असमंजस में होता हूं
जब भी कभी अकेला होता हूं
अंधेरे काले बादल मेरा रास्ता रोकते हैं
अनजाने शख्स मुझे पीछे से टोकते हैं
तब सिर्फ और सिर्फ मैं आपका ही स्मरण करता हूं
सिर्फ और सिर्फ आपका ही रतन करता हूं
क्योंकि सिर्फ और सिर्फ आप ही हो
मेरे सुपरहीरो, मेरे रोल मॉडल, मेरे पापा
अंत में बस एक बात कहना चाहता हूं
इस दुनिया में इतना साहस ही नहीं
इस दुनिया की इतनी हैसियत ही नहीं
जो आपके आंसुओ का हिसाब चुका सके
आपके sacrifice को समज सके
आपको समज सके, आपके जज्बातों को समझ सके
क्योंकि आप कभी बोलते नहीं
आप कभी जताते नहीं
पर दर्द तो आपको भी होता होगा
कभी बच्चों की परवरिश की टेंशन
तो कभी लड़की के दहेज शादी की टेंशन
तो कभी लड़के के करियर की टेंशन
कैसे कर लेते हो सब
बिना किसी रुकावट के
बिना किसी complaint के
एक स्माइल के साथ
आप वो किताब हो
जिसे पढ़कर भी लोग अनसुना कर देते हैं
आप वो दरिया हो
जिसमें घर के सभी लोग मोज से रहते हैं
आज समज में आ रहा है
जब एक पत्ता अपने पेड़ से जुदा होता होगा
तब उसे कितना दर्द होता होगा
जब वो अपनी टहनी से बिखर जाता होगा
तब उसे कितनी तकलीफ होती होगी
और ये सब सिर्फ और सिर्फ आप ही समज सकते हो
इसीलिए सिर्फ और सिर्फ आप ही हो
मेरे सुपरहीरो, मेरे रोल मॉडल, मेरे पापा
अब एक छोटी सी शायरी के साथ
इसका में अंत करना चाहूंगा
तुमने शायद हमारे पैरों के नीचे के छाले नहीं देखे
में एक पिता हूं साहब
तुमने हमारे जैसे मतवाले नहीं देखे
I Love You , पापा
और हां, एक और बात...
आपके जाने के बाद
मैं मुंतशीर हो चुका हूं
इस बात को, न मैं और
न कोई और जुटला सकता है
इस बात से अब मैं वाकिफ हो चुका हूं