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अंधेरी आहटें

11 August 2024 by
Jepin Tank

खामोशियां सताती है

आहटें तड़पाती है

आंख बंद होने पर

नींद कहीं हो जाती है


खामोशियां ....


अकेला ही हूं

शायद अकेला ही रहूं

अकेला ही रहना चाहूं

सवाल बहुत सारे है

फिर भी खामोश सोना चाहूं


चाहे में खुश रहूं ... ना रहूं

चाहे में चुप रहूं ... ना रहूं

फिर भी ये खामोशियां चुननी पड़ती है

कईं बार बीते हुए कल के साये में

ये तड़पन भुननी पड़ती है


खामोशियां ....


आंखो में आंसू है

पलकें भी नम है

फिर भी बिन बतलाए सोना पड़ेगा

रोना जोर-जोर से आ रहा है

अब कहीं खुद में ही खोना पड़ेगा


चाहे में कितने ही आंसू गिरा लूं

चाहे में कितनी ही नदियां बहा लूं

फिर भी ये खुदकुशी चुननी पड़ती है

कईं बार घनघोर अंधेरे में

नशे की दो बूंद पीनी पड़ती है


खामोशियां ....


खिड़कियां शोर मचा रही है

अपना पूरा जोर लगा रही है

फिर भी चूप होना पड़ेगा

आनेवाले कल की नजरों में

मुझको महफूज होना पड़ेगा


चाहे में कितना ही शोर मचा लूं

शांति से समझौता कर लूं

फिर भी ये रातें काट खाती है

खिड़कियों के पास से गुजरा हो जैसे कोई

बिन कहे ही ये रातें सब कुछ जान जाती है


खामोशियां .....


कुछ तो गुजरा है यहां से

कुछ तो ठहरा है यहां पे

फिर भी शांत होना पड़ेगा

कल कोई सवेरा ना हो शायद

इसी सवालों में उलझना पड़ेगा


चाहे सवाल मिले ना मिले

कोई फूल खिले ना खिले

फिर भी दरवाजों को बंध करना पड़ेगा

शायद आज के बाद में कभी ना उठूं

ये मानकर, मौत की बाहों में ही सही

लेकिन सिर रख सोना पड़ेगा


खामोशियां ....

Jepin Tank 11 August 2024
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