अंजाना सफर शुरू हुआ है
अंजाना रास्ता मालूम पड़ा है
पता नहीं कहां पहुंचना है अब
पर एक अनजाना सा सुकून झूम उठा है
कदम बढ़ने से लगे हैं
पांव थिरकने से लगे हैं
होश चमकने से लगे हैं
सुरंगे झांकने सी लगी है
तैयारियां जुड़ने सी लगी है
यारियां छुटने सी लगी है
पर जो भी हो जैसा भी हो
कुछ अजनबी सा होने लगा है
जो शब्द में भी बेशब्द है
जिस पे मेरा ना अंकुश है
जो मुझ में ही कहीं खुश है
नैया जिसकी डूबकर तैर चली है
शब्द गूंजकर कानो तले रौंद चले है
घुंघरू बन शोभा बन चले है
पता नहीं कब, क्यों, कैसे, कहां
कुछ अनदेखा सा महसूस होने लगा है
दर्द भी हो रहा है
जीने का मजा भी आ रहा है
कुछ छूटने का दर्द भी सता रहा है
कुछ ओजल होने का भय भी बोल रहा है
पता नहीं यह कैसा मोड़ आन चला है
जहां आगे बढ़ने का डर भी है
तो पीछे मुड़ने का खौफ भी है
पर कुछ भी हो कैसा भी हो
कुछ अनजाने रास्ते तराशने का मजा आने लगा है
ना अब मौत का डर बचा है
ना अब जिंदगी का खौफ बचा है
ना खुद का शोर बचा है
ना पैरों को ज्यादा जोर देना है
ना रास्तों से लिपटना है
ना अपनों से जीजकना है
अब एक अनजानी सी ख्वाहिश है मेरी
मुझे तो बस खुदमें ही सिमटना है
हंसते-हंसते मौत से लिपटना है