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अंजाना सफर

14 August 2024 by
Jepin Tank

अंजाना सफर शुरू हुआ है

अंजाना रास्ता मालूम पड़ा है

पता नहीं कहां पहुंचना है अब

पर एक अनजाना सा सुकून झूम उठा है


कदम बढ़ने से लगे हैं

पांव थिरकने से लगे हैं

होश चमकने से लगे हैं

सुरंगे झांकने सी लगी है

तैयारियां जुड़ने सी लगी है

यारियां छुटने सी लगी है

पर जो भी हो जैसा भी हो

कुछ अजनबी सा होने लगा है


जो शब्द में भी बेशब्द है

जिस पे मेरा ना अंकुश है

जो मुझ में ही कहीं खुश है

नैया जिसकी डूबकर तैर चली है

शब्द गूंजकर कानो तले रौंद चले है

घुंघरू बन शोभा बन चले है

पता नहीं कब, क्यों, कैसे, कहां

कुछ अनदेखा सा महसूस होने लगा है


दर्द भी हो रहा है

जीने का मजा भी आ रहा है

कुछ छूटने का दर्द भी सता रहा है

कुछ ओजल होने का भय भी बोल रहा है

पता नहीं यह कैसा मोड़ आन चला है

जहां आगे बढ़ने का डर भी है

तो पीछे मुड़ने का खौफ भी है

पर कुछ भी हो कैसा भी हो

कुछ अनजाने रास्ते तराशने का मजा आने लगा है


ना अब मौत का डर बचा है

ना अब जिंदगी का खौफ बचा है

ना खुद का शोर बचा है

ना पैरों को ज्यादा जोर देना है

ना रास्तों से लिपटना है

ना अपनों से जीजकना है

अब एक अनजानी सी ख्वाहिश है मेरी

मुझे तो बस खुदमें ही सिमटना है

हंसते-हंसते मौत से लिपटना है

Jepin Tank 14 August 2024
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