आंखों में बातें है
बातों में कहानियां है
कहानियों में आंसु है
उन आंसुओं को पी ले जरा
उसे याद कर कुछ लिख ले जरा
बरसात वाली धूप में
धूप से बंधी छांव में
पायलों की खनखन वाली धून
और गुनगुनाते पांव में
हम दोनों यूं उलझे
ना कुछ पता चला
ना कुछ समझ पाए
आंखे कुछ यूं एक हुयी हमारी
दुसरा मौसम भी आन चला
फिर भी न जान पाये
वो बरसात वाली खुश्बु
खुश्बु के बादवाली
वो मनमोहक इतर की झलक
अभी भी बची थी
हम दोनों के बीच में हुयी
कुछ तो दिल की हेराफेरी थी
पर क्या मेरी और तेरी
इतनी ही दिल की अदलाबदली थी
या आगे और भी कहानियां
आंसुओं से भरी बाकी थी
या फिर ...
इस प्रकृति ने मेरे साथ की
कुछ ज्यादा ही ज्याख्ती थी