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बंध ख़्वाब

14 August 2024 by
Jepin Tank

ख्वाब पनपने से लगे है

उन बंध आंखों में ख्वाब अब

सजने संवरने से लगे हैं


जो देखा करते थे सपने कभी

जो सोचा करते थे ख्वाब सभी

जो किया करते थे ख्वाहिशें कभी

ना हो दरमियां बंदिशें किसिकी

वो सब ख्वाब भी अब, सच होने से लगे है

वो सब इंतजार भी अब, खत्म होने से लगे है


जो पाने की चाहत थी

जो मिलने की गुज़ारिश थी

जो ढूंढने की सिफारिश थी

ना दिन, ना रात के, ठिकाने की कोई खबर थी

वो सब इंतजार भी अब, दिलों में समाने से लगे हैं

वो सब इत्तेफाक भी अब, सच बनने से लगे हैं


वो बंध आंखों में, देखा गया ख्वाब

वो बंध आंखों में, सुलगती हुई चिंगारी

वो ख्वाबों के पीछे का पागलपन

अब अपना रुख मोड़ने सा लगा है

जो मंजिलों के बेहद करीब, पहुंचने सा लगा है

वो दिल्ली तमन्ना से अब, वाकिफ होने सा लगा है

वो सुलगता ख्वाब अब, शांत होने सा लगा है/रफ्तार पकड़ने सा लगा है


क्यूंकि...

वो ख्वाब अब सज चुका है

सोलह श्रृंगार में वो पनप चुका है

किसी नई नवेली दुल्हन की भांति, वो संवर चुका है

बहुत सारी तकलीफों से, वो लड़ चुका है

बहुत सारे मुश्किल हालातों में, वो जी चुका है

गिर गिरकर चलना, वो सिख चुका है

रेंगते हुए भी दौड़ना, वो आजमा चुका है


और हां...

अपने आनेवाले कल के लिए

वो खुदको तैयार कर चुका है

आनेवाली हर एक मुश्किलों

हर एक महेफिलों के लिए

वो खुदको मजबूत बना चुका है

खुदको महफूज रखना, वो सिख चुका है

पहले से भी ज्यादा, पहले से भी बढ़कर,

पहले से भी खूंखार, पहले से भी कातिलाना

वो अब बन चुका है


और...

बंध आंखों में पनप रहे ख्वाबों को

हकीकत वो बना चुका है


Jepin Tank 14 August 2024
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