ये गुलामों की बस्ती है
यहां सपने देखना अंजाना है
ये शरीफों की मस्ती है
यहां ख्वाब पालना कातिलाना है
तुम चाहे हम से जो भी करवा लो
चाहे डॉक्टर, इंजीनियर, वकील बनवा लो
या अपने ख्वाबों पर कील ठुकवा लो
क्योंकि यहां कुछ हटकर करना नादानियां है
भीड़ से अलग चलना यहां मनमानियां है
यहां सब डरे हुए है
कल की चिंता के मारे, सब सताये हुए है
चिंता की चिता सबने सजायी हुई है
अब लोग तुम्हें भी, डर में शामिल करवाना चाहते है
अब लोग तुम्हारे जरिए, कुछ हांसिल करवाना चाहते है
तुम अगर ना हुए उनके दर में शामिल
तो हो तुम बेमतलबी, ना हो उनके काबिल
इसलिए यहां डर में शामिल न होना, बेवकूफियां है
थोड़ा झुक के ना चलना, यहां पागलपंतीयां है
थोड़ा रुक के ना चलना, यहां बेसबरियां है
तुम जो भी करो, उनकी स्याही जरुरी है
तुम जो भी बनो, उनकी मरजी जरुरी है
अब तो वही तुम्हारे विधाता है
वही तुम्हारे पालनहार है
उनके मुताबिक चलने में ही उनकी भलाई है
चौबीसों घंटे जकड़े रहने में ही उनकी कमाई है
क्योंकि, यहां अपने मतलब का व्यापार करना समाजदारियां है
अगर उनके मुताबिक ना चलो तो तुममें समायी घमंडिया है
ये दुनिया एक भवंडर समान है
नहीं मिलनेवाल तुम्हें कोई सन्मान है
मतलब से मतलब की बंधी यहां रस्सियां है
अपने ही मन की उलझनों में टूटी यहां कश्तियां है
यहां तुम्हें जो पसंद है
जिसे करने में तुम्हारा दिल लगता है
जिसे करने पर होता तुम्हे गुरुर है
जिसे करने में तुम्हे मिलता सुकून है
जिसे करने पर चढ़ता तुम्हे सुरुर है
वो सब करने पर लगी यहां पाबंदियां है
वो सब सोचने पर बंधी यहां बेड़ियां है
अगर निकल गए तुम इन पाबंदियों को तोड़
लोगों से लोगों को मिलाकर जोड़
फैलाकर अपने पंखो को खोल
तोलकर करोगे अपनी बेड़ियों का मोल
भर लो एक उड़ान तुम लंबी
चाहे निकल जाए कितनी ही अवधी
तब मिल जानेवाली तुम्हें आजादियां है
वरना हो जानी तुम्हारी बर्बादीयां है
समझे बरखुदार...?
ये गुलामों की बस्ती है
यहां सपने देखना अंजाना है
ये शरीफों की मस्ती है
यहां ख्वाब पालना कातिलाना है