क्यों कल की चिंता में समय गंवाना है
क्यों कल की आड़ में समय बिताना है
जब आज का खूबसूरत लम्हा तुम्हारे साथ है
वर्तमान तुम्हारे पास है
तो क्यों कल की चिंता में अपनी चीता को सजाना है
जो भी है, वो अभी है
ना कोई फिर कभी है
खूबसूरत सा यह पल देख
इस पल को महसूस कर
खुली हवा में सांस भर
और जी भर के जी ले इस पल को
मुक्त कर ले खुद को
अपने आनेवाले कल से
बिताए हुए पल से
क्यों कल में खुदको झोंकना है
जब अभी कुछ नहीं खोना है
कल की कल पर छोड़ दो
चाहे तो यह राहे मोड़ दो
जो कैद हो तुम जंजीरों में
चाहे तो उसे भी तोड़ दो
या खुद को खुद से जोड़ लो
कंधे से कंधा मिला लो
ना कोई शिकवा गिला हो
बस हो तो कंधों से कंधे मिलते हो
राहों से राहे टकराते हो
क्यों कल के भवंडर में खुदको कोसना है
जब अभी का ये निराला का करिश्मा है
यहां सब कठपुतलियां है
किसी और की मनमानियां है
यहां सब जिंदा तो है
पर किसी और की महेरबानियां है
सब रोबोट की तरह भाग रहे हैं
ना मोम की तरह पिघल रहे हैं
ना बत्ती की तरह शांत हो रहे हैं
सब जिंदा लाश बन भाग रहे हैं
कोई खजाना नया तराश रहे हैं
तूं बस इन सबके जैसा ना बन
अपनी एक अलग दुनिया बना
अपनी एक अलग पहचान बना
तूं खुदका जहां बसा
क्यों सताना लोगों को कल के डर से
जब हम आशियाना बसा सकते हैं
ईटों से इट मिलाके
सपना नया सजाके
आंखों से आंखें मिलाके
तूं भी इस भीड़ का हिस्सा ना बन
लोगों की नफरत का किस्सा ना बन
बन तो बहते पानी सा बन
ना कोई ज्ञानी सा बन
कुछ हाथों में तकदीर लेके
ना मन में जंजीरे लेके
बस अभी का तूं राजा बन
अपनी मनमर्जी का गाना बन
संगीत की धून बन
स्याही की सूर बन
क्यों पड़ना इन लोगों की
बेमतलब सी बातों में
बेबुनियादी सी इसी रातों में
अंधेरी काली घटाओं में
बस, बस चल अपने ही मन मगन
बस चल तूं बरखाते चमन
भले ही हो
किसी को अपने वजूद का घमंड