जिस गली से तुम गुजरती थी
उस गली जाना छोड़ दिया
जब तुम ना मिली तो
अब किसी और से भी
दिल्लगी करना छोड़ दिया
जब तेरी जुल्फें
मेरी आंखों से गुजरा करती थी
वो भी क्या हसीन दिन थे
जब तुम मेरी सड़कों से
मेरे दिल की धड़कनों से
एक हसीन मुस्कान लिए
ख्वाब देखा करती थी
ख्वाब देखा करती थी
लड़कियां तो बहुत मिली राहों में
कोई मासूम तो कोई प्यारी
कोई चिड़चिड़ी तो कोई अड़ियल सी
कोई समझदार तो कोई ना समझ सी
कोई गुस्सैल तो कोई शांत
कोई सुलझी हुई तो कोई उलझी हुई सी
लेकिन कोई तुमसा ना मिला
कोई तुमसा ना मिला
कभी एक दोस्त की तरह समझती थी
तो कभी अपनों की तरह समझाती थी
तो कभी मेरी गलतियों पर
डांट भी दिया करती थी
डांट भी दिया करती थी
पर शायद कभी तुम
मेरी थी ही नहीं
या फिर
मेरा होने का ढोंग रचा करती थी
मेरा होने का ढोंग रचा कर दी थी
खैर...
कोई नहीं
ये दुआ तब भी थी
और आज भी करता हूं
तूं जहां भी रहे
खुद भी खुश रहे
और दूसरों में भी
खुशियां बांटती रहे
चाहे मुश्किल कितनी भी आए
चाहे मुश्किल कितनी भी आए
ये दुआ करता हूं... ये दुआ करता हूं... ये दुआ करता हूं