तुम्हें पता है मेरे ज्यादा दोस्त नहीं है
अरे ज्यादा क्या एक भी ऐसा इंसान नहीं है
जिसे में अपना दोस्त बोल सकूं
जिसे में अपना जिगरी यार बोल सकूं
वैसे नाम के तो बहुत सारे दोस्त मिल जाएंगे
लेकिन एक भी ऐसा इंसान नहीं है
जिसके साथ में अपने जज्बात बाट सकूं
जिसके साथ में हंस सकूं
जिसके साथ में अपना सारा समय बिता सकूं
जिसके सामने में खुलकर रो सकूं
जब मैं लोगो को देखता हूं कि
उनके पास थैला भरभर के दोस्त है
उनके पास दोस्तों का पूरा सर्कल है
जिनके साथ वो टाइम स्पेंड कर सकते हैं
लोग पब में जाते हैं, पार्टी वगेरे में जाते है
तब मुझे बड़ी बेचैनी सी लगती है
एक अकेलेपन का अहेसास होता है
एक खालीपन सा लगता है
कुछ जीवन में अधूरा रह रहा हो ऐसा लगता है
और इस अहेसास को शब्दों में बयां करना असंभव है
तब मैं ये सोचता हूं कि
जीवन में एक ऐसा दोस्त जरूर होना चाहिए
जिनके साथ आप अपने दुखदर्द बाँट सको
जिनके सामने आप खुलकर बात कर सको
आखिर मुज में ऐसी क्या कमी रह गई कि
भगवान ने मुझे औरों से थोड़ा हटकर बनाया
औरों से थोड़ा अलग बनाया
मेरे जीवन में एक भी ऐसा इंसान नहीं भेजा
जो मुझे समज सके
मेरी फीलिंग्स को समज सके
मेरे जज़्बात को समज सके
जिसके सामने में खुलकर अपनी बात रख सकूं
तब सच बताऊं... अकेलेपन सा लगता है
और इस अकेलेपन से बड़ा दर्द कुछ भी नहीं
कुछ भी नहीं... मतलब... कुछ भी नहीं