हा... सही है ये
थोड़ा कायर हूं में
क्या करूं... मन से थोड़ा घायल हूं में
पर एक बात बताओ तुम
अगर तुम किसी से उसके जीने कि वजह ही छीन लोगे
क्यूं आया था वो इस दुनिया में, ये तक भुला दोगे
उसके होने या ना होने से तुम्हें फर्क ही ना पड़े
उसमें और जिंदा लाश में तुम्हें कोई फर्क ही दिखाई ना दे
रोज तुम उससे एक ही बात बतलाओगे
क्या करते रहते हो पूरा दिन यही सुनाते रह जाओगे
मन ही मन वो घूंट घूंटकर रोएगा
अपने मन के हालात वो किसी से बयां ना कर पाएगा
अब ना वो किसी से मिलना चाहेगा
ना करना चाहेगा वो किसी से कोई बातचीत
क्यूं उसे कोई समझ नहीं पा रहा
यहीं बात उसे मन ही मन सताई जा रही होगी
वो अपने मन के भवंडर में धंसता चला जाएगा
रोज रोज के तुम्हारे ताने सुनकर वो मरता चला जाएगा
तब वो सोचेगा ...
वो व्यर्थ ही इस दुनिया में आया था
क्या लेकर आया था और क्या लेकर जाएगा
वो अपने मन पर काबू ना रख पाएगा
जब उसके पास आत्माहत्या ही एक लौता हाल रह जाएगा
जब तुम उसे सिवा दुख दर्द के कुछ ना दोगे
जब वो इंसान पूरी तरह से टूट चुका होगा
जब उसका कतरा कतरा रहम की भीख मांग रहा होगा
जब उसे सब धुंधला धुंधला दिखाई दे रहा होगा
जब उसके अंदर कुछ चीजे अधूरी रह जाने का डर होगा
जब उसके लोगों के मनसूबे भाँप लिए होंगे
तब वो इस दुनिया को अलविदा बोलकर चला जाएगा
हमेशा... हमेशा... हमेशा... के लिए
और तब तुम्हारे पास सिवा पछतावे के कुछ ना रह जाएगा