आज दिल को बहने दे
छिपे आंसु को ठहरने दे
अंदर कुछ गुमनामी में दबा है
आज उसे निखर जाने दे
ये कुछ अजीब सी राहे है
ये कुछ अजीब सी बातें है
ध्यान रखना दोस्त ...
अब खुशियाँ भी साथ छोड़ेगी
गम भी साथ छोड़ेंगे
जरूरत अगर पड़ी
तो लोग भी हाथ छोड़ेंगे
पर जो कुछ भी हो
कैसा कुछ भी हो
आज सभी बातों को
तड़प रही रातों को
बाहर निकल जाने दे
आज जो अंदर सिमट कर रखा है
उसे शब्दों में बह जाने दे
कुछ अजीब सा ये लम्हा है
जैसे तूने ही ले रखा हो
पूरी दुनिया का जिम्हा है
अगर होगी तुझमें वो हिम्मत
अगर होगा बाजुओं में वो दम
तो आनेवाले कल का तूं ही नरसिम्हा है
इसलिए तूं जो भी कर
तूं आज जो भी बन
कुछ को खयालातों में
तो कुछ को हकीकतों में
तूं आज बह जाने दे
जैसे कहीं के राजकुमार हो तुम
ऐसा खुद को भाग्य से मिलाकर
तैयार हो जाने दे
कुछ ऐसी बातें है
कुछ ऐसी राहें है
कुछ ऐसी गुफ्तगु है
जो कहीं गुमनामी में ओजल हो गई है
अपनेपन का नकाब पहन सो गई है
पवित्रता की चद्दर बन टहल रही है
बस तूं उन सबसे परदा उठा
या फिर उस चद्दर को खींच
अपनी ईमानदारी वाली महेनत को सींच
और कुछ बातों को पसीनों में बहने दे
कुछ यादों को सीनों में जलने दे
कुछ अनकही बातों को
खट्टी मीठी यादों को
महेनतो वाली बरसात को
अपनी किताब के शब्द बन उभरने दे
और...
उभर रहे शब्दों को
होठों पर गुनगुना रहे लबों को
आज चिड़िया बन उड़ जाने दे
या फिर...
कुछ अनकही यादों को
कुछ अनसुनी बातों को
दिलों के अंदर समाने दे