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गुमशुदा

14 August 2024 by
Jepin Tank

कल से में आपको नहीं दिखूंगा

पर किसी को फर्क ही नहीं पड़ेगा


मेरा शरीर तो यहीं पर होगा

पर मेरी रुह का कोई ठिकाना ना होगा

या शायद वो कोई नया अफसाना सा होगा


वो रुह ढूंढने पर भी नहीं मिलेगी

मिलने पर भी वो अपने में ही गुमशुदा होगी

या बरसों तक नम आंखों में तलाशशुदा होगी


कुछ किरदार निभाने आया था यहां

कुछ बेशकीमती तराशने आया था यहां

कुछ जमाने को ढूंढने आया था यहां

खुदसे मिलने की नाकाम कोशिशें करने आया था यहां

कुछ को गहरी नींद से जगाने आया था यहां


पर क्या करूं...मैं इन चोरों की बस्ती में

शायद में भी कहीं खो जाऊंगा

इन लूटेरों की मस्ती में


जो कुछ करने आया था

कुछ ना करके भी बहुत कुछ देने आया था

अपने विचारों के पुल बांधने आया था


वो सब अब सिमट कर रह जायेगा

कोई जिंदा लाश में लिपट कर रह जायेगा


और एक समय पनपने लगेगा

मृत्यु का दौर जब करवटें लेने लगेगा


जब सभी ख्वाहिशें, सभी इच्छाएं

इन्हीं हवाओं में, किसी सड़क की राहों में

धूमिल सी हो जायेगी


निकल पडोगे तुम एक ऐसे सफर पे

बिना शरीर की ऐसी डगर पे

जो अपनी रुह से परे होगा

जो जिंदगी से बेगाना होगा

अपने में ही मस्ताना होगा


जहाँ बिन तुम कोई ना होगा

तुम होते हुए भी तुम ना रहोगे

अपने में ही कहीं खोए हुए रहोगे

खोकर भी सबसे मिलते नजर आओगे


ऐसा सफर, जो जन्म से भी परे होगा

न जन्म-मृत्यु का कोई चक्कर होगा

तुम्हें सब खुशी के मारे नजर आयेंगे

या किसी किसीको कोसते नजर आयेंगे


तो फिर देर किस बात कि

तुम भी निकल पड़ो

ऐसी राहों में

बिन रास्तों की महेफिलों में


हो जाओ गुमशुदा

पड़पती निगाहों में

या तरसती आंखों में


या फिर...

लिपटी हुई मौत की बाहों में

लिपटी हुई मौत की बाहों में



Jepin Tank 14 August 2024
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