कल से में आपको नहीं दिखूंगा
पर किसी को फर्क ही नहीं पड़ेगा
मेरा शरीर तो यहीं पर होगा
पर मेरी रुह का कोई ठिकाना ना होगा
या शायद वो कोई नया अफसाना सा होगा
वो रुह ढूंढने पर भी नहीं मिलेगी
मिलने पर भी वो अपने में ही गुमशुदा होगी
या बरसों तक नम आंखों में तलाशशुदा होगी
कुछ किरदार निभाने आया था यहां
कुछ बेशकीमती तराशने आया था यहां
कुछ जमाने को ढूंढने आया था यहां
खुदसे मिलने की नाकाम कोशिशें करने आया था यहां
कुछ को गहरी नींद से जगाने आया था यहां
पर क्या करूं...मैं इन चोरों की बस्ती में
शायद में भी कहीं खो जाऊंगा
इन लूटेरों की मस्ती में
जो कुछ करने आया था
कुछ ना करके भी बहुत कुछ देने आया था
अपने विचारों के पुल बांधने आया था
वो सब अब सिमट कर रह जायेगा
कोई जिंदा लाश में लिपट कर रह जायेगा
और एक समय पनपने लगेगा
मृत्यु का दौर जब करवटें लेने लगेगा
जब सभी ख्वाहिशें, सभी इच्छाएं
इन्हीं हवाओं में, किसी सड़क की राहों में
धूमिल सी हो जायेगी
निकल पडोगे तुम एक ऐसे सफर पे
बिना शरीर की ऐसी डगर पे
जो अपनी रुह से परे होगा
जो जिंदगी से बेगाना होगा
अपने में ही मस्ताना होगा
जहाँ बिन तुम कोई ना होगा
तुम होते हुए भी तुम ना रहोगे
अपने में ही कहीं खोए हुए रहोगे
खोकर भी सबसे मिलते नजर आओगे
ऐसा सफर, जो जन्म से भी परे होगा
न जन्म-मृत्यु का कोई चक्कर होगा
तुम्हें सब खुशी के मारे नजर आयेंगे
या किसी किसीको कोसते नजर आयेंगे
तो फिर देर किस बात कि
तुम भी निकल पड़ो
ऐसी राहों में
बिन रास्तों की महेफिलों में
हो जाओ गुमशुदा
पड़पती निगाहों में
या तरसती आंखों में
या फिर...
लिपटी हुई मौत की बाहों में
लिपटी हुई मौत की बाहों में