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इत्तेफाक

14 August 2024 by
Jepin Tank

शायद तुम्हारा मेरे जीवन में आना इत्तेफाक ही था

शायद हमारा मिलना भी इत्तेफाक ही था

शायद हमारा यूं ही दिल्लगी करना भी इत्तेफाक ही था


शायद ये भी इत्तेफाक ही था

जिससे मेरा कोई ताल्लुकात न था

फिर भी तुम मेरी दहलीज पर बिन बुलाए आयी

और मुझे मजबूर करकर चली गयी


तुम्हारा यूं मुस्कुराना

ये प्यार का पैगाम लाना

बिन बुलाया मेहमान बन जाना

ना कहे भी, तू...तू में...में करना

और यूं ही शरमाके चले जाना

ये भी शायद इत्तेफाक ही था


तुम्हारा यूं दिल लगाना

मेरी धड़कनों में समाना

मेरी राहदार बनना

बिन कहे बहुत कुछ बोल जाना

और बस यूं ही बाहें फैलाना

तो फिर ये भी शायद इत्तेफाक ही था


शायद ये भी इत्तेफाक ही था

कि हम दोनों बस यूं ही मिल चले

बस यूं ही एकदूजे में खो बैठे

बिन कहे बात हजार कर चले

और बिन बात किए गुफ्तगू कर लिए


तुम्हारा मेरी गलियों से गुजरना

सुबह को मेरी खुशनुमा बनाना

सुबह को मेरी ताजगी से भर देना

और शाम को यूं ही टहलने निकल जाना

तो शायद ये भी इत्तेफाक ही था


में तो सोचता हूं

ये इत्तेफाकों का सिलसिला बस यूं ही चलता रहे

बिन मिले भी रातें साथ में गुजरती रहे

तुम्हारी पलकें यूं ही नम होती रहे

और हम दोनों बस यूं ही मिलते रहे


और फिर...

शायद ये भी इत्तेफाक ही होगा

जब हम इतना सब होने के बावजूद

वापिस से उस अनजाने से मोड़ पर चले जायेंगे

उसी रास्ते पर चुप खड़े हो जायेंगे


हमारी उस आखिरी मुलाकात को

याद बनाकर अंदर ही सिमट लेंगे

और हमारी आखिरी यादों को

याद बनाकर चुप हो जायेंगे


या हमारी आखिरी मुलाकातों को

जीवनभर मीठी प्यास बना लेंगे


शायद तुम्हारा मेरे जीवन में आना इत्तेफाक ही था

शायद हमारा मिलना भी इत्तेफाक ही था

शायद हमारा यूं ही दिल्लगी करना भी इत्तेफाक ही था

Jepin Tank 14 August 2024
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