जगत की ये रीति वही पुरानी है
असफलता के बाद ही लिखी जाती
सफलता की कहानी है
भले ही वो चाह कितनी ही पुरानी है
पांव में जूते ना हो
फटे पुराने तुम्हारे हाल हो
अंदर से तुम बेहाल हो
फिर भी तुम्हें मुस्कुराते रहना है
अब तो मुस्कान ही तुम्हारा कहना है
फिर तो मुसीबतों का भी क्या ही कहना है
क्योंकि
जगत की ये रीति वही पुरानी है
असफलता के बाद ही लिखी जाती
सफलता की कहानी है
भले ही वो चाह कितनी ही पुरानी है
तुम हार चुके हो
तुम थक चुके हो
दौड़ दौड़ कर पसीना बहा चुके हो
फिर भी तुम्हें चलते जाना है
मंजिल थोड़ी देर से भले ही मिले
फिर भी तुम्हें धीरे-धीरे ही सही
लेकिन चलते रहना है
क्योंकि
बड़े बुजुर्गों का भी यही कहना है
कि जगत की ये रीति वही पुरानी है
असफलता के बाद ही लिखी जाती
सफलता की कहानी है
भले ही वो चाह कितनी ही पुरानी है
भले ही तुम्हारे साथ कोई ना खड़ा हो
ना आगे ना कोई पीछे पड़ा हो
काफिला भी कोई ना बड़ा हो
फिर भी अकेले ही सही
लेकिन सबसे भीड़ते जाना है
हाथों से हाथ बढ़ाते जाना है
मुश्किलों को भी मुंह तोड़ जवाब देते जाना है
क्योंकि
जगत की ये रीति वही पुरानी है
असफलता के बाद ही लिखी जाती
सफलता की कहानी है
भले ही वो चाह कितनी ही पुरानी है
अगर भाग सके तो भाग ले
दौड़ सके तो दौड़ ले
चल सके तो सीना तान के चल ले
आखिरी बार ही सही
लेकिन एक लंबी सी छलांग लगा ले
अपने सपनों को कागज़ में उतार ले
कागज़ के शब्दों को हकीकत बना ले
क्योंकि मानो या ना मानो
लेकिन
जगत की ये रीति वही पुरानी है
असफलता के बाद ही लिखी जाती
सफलता की कहानी है
भले ही वो चाह कितनी ही पुरानी है
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