Skip to Content

जगत की रीति

14 August 2024 by
Jepin Tank

जगत की ये रीति वही पुरानी है

असफलता के बाद ही लिखी जाती

सफलता की कहानी है

भले ही वो चाह कितनी ही पुरानी है


पांव में जूते ना हो

फटे पुराने तुम्हारे हाल हो

अंदर से तुम बेहाल हो

फिर भी तुम्हें मुस्कुराते रहना है

अब तो मुस्कान ही तुम्हारा कहना है

फिर तो मुसीबतों का भी क्या ही कहना है

क्योंकि

जगत की ये रीति वही पुरानी है

असफलता के बाद ही लिखी जाती

सफलता की कहानी है

भले ही वो चाह कितनी ही पुरानी है


तुम हार चुके हो

तुम थक चुके हो

दौड़ दौड़ कर पसीना बहा चुके हो

फिर भी तुम्हें चलते जाना है

मंजिल थोड़ी देर से भले ही मिले

फिर भी तुम्हें धीरे-धीरे ही सही

लेकिन चलते रहना है

क्योंकि

बड़े बुजुर्गों का भी यही कहना है

कि जगत की ये रीति वही पुरानी है

असफलता के बाद ही लिखी जाती

सफलता की कहानी है

भले ही वो चाह कितनी ही पुरानी है


भले ही तुम्हारे साथ कोई ना खड़ा हो

ना आगे ना कोई पीछे पड़ा हो

काफिला भी कोई ना बड़ा हो

फिर भी अकेले ही सही

लेकिन सबसे भीड़ते जाना है

हाथों से हाथ बढ़ाते जाना है

मुश्किलों को भी मुंह तोड़ जवाब देते जाना है

क्योंकि

जगत की ये रीति वही पुरानी है

असफलता के बाद ही लिखी जाती

सफलता की कहानी है

भले ही वो चाह कितनी ही पुरानी है


अगर भाग सके तो भाग ले

दौड़ सके तो दौड़ ले

चल सके तो सीना तान के चल ले

आखिरी बार ही सही

लेकिन एक लंबी सी छलांग लगा ले

अपने सपनों को कागज़ में उतार ले

कागज़ के शब्दों को हकीकत बना ले

क्योंकि मानो या ना मानो

लेकिन

जगत की ये रीति वही पुरानी है

असफलता के बाद ही लिखी जाती

सफलता की कहानी है

भले ही वो चाह कितनी ही पुरानी है


#Poetry #हिन्दी पोएट्री #poet #hindi poetry #hindi poem #Life Teach #life thoughts #creating life #writer

Jepin Tank 14 August 2024
Tags
Archive