जिंदगी को अल्फाजों से भर देना
अल्फाज बन आंखों से निकल जाना
यही तो है जिंदगी के असली रंग
दो पल ठहर के, जिंदगी को सुकून दे जाना
बातें ना होने के बावजूद
हजारों बातें कर जाना
हजारों बातें ना सही
पर एक बात किसी से ऐसी कर जाना
किसी को जिंदगी का नया नजरिया दे जाना
कभी जिंदगी को जीना सीखाना
तो कभी जिंदगी से जीना सीखना
हजारों ख्वाहीशें होने के बावजूद
बस छुपके से समय आने पे नीकल जाना
निकल कर, बिखर कर, वापिस से
किसी और के साथ जुड़ जाना
कुछ ऐसी ही तो है जिंदगी
अनचाही राहों पर वापिस से फिसल जाना
फिसल कर, उठकर फिर से लंबी दौड़ लगाना
और अंत में...
एक पानी की बुंद बन
अनंत से दरिया में जाकर मिल जाना
दरिया का जरिया बन खाक हो जाना