काबिल बन ... तूं काबिल बन
सिर्फ दिखावे से ... तूं ना शातिर बन
खुदके दम पर ... तूं काबिल बन
ना किसी के सपनो का ... तूं कातिल बन
दुनिया रंगीन दिखेगी
शामें हसीन सजेगी
दिखावे के इस जग में
चांदनी भी काली दिखेगी
पर तूं ना इन सब में पड़ना
भले ही पड़ा हो कोई अनोखा गहना
ध्यान से सुनो मेरे प्यारे भाई और बहना
दिखावे की इन ढोंगी रातों से दूर
कहीं खुद में ही तुम ...
तुम हो जाओ गुम
या किसी की धुन में ही तुम ...
मग्न हो जाओ तुम
अपना ही एक जहान बसाओ तुम
अपना ही एक सवेरा रचाओ तुम
छोटा सा घोंसला तुम बनाओ
हिम्मत का हौंसला तुम दिखाओ
और कर दिखाओ कुछ ऐसा
रोशनी का हो पल सुनहरा
सपनो का हो रंग अलबेला
सुहानी सी उन शामों में
शांत दबी सी आवाजों में
अपने में ही मस्त तुम हो जाओ
दिखावे से तुम दूर भाग जाओ
भले ही तुम्हें वो ना मिले
जो तुमको चाहिए हो
जिसकी तुम तमन्ना करते हो
जिसकी तुम कामना करते हो
पूजा-अर्चना करते हो
पर तुम्हें जो भी मिला हो
उसीमें तुम खुश हो जाओ
और ...
उसीके तुम काबिल बन जाओ