पता नहीं... कोई मुझसे बात ही नहीं करता
ना फोन पर... ना मेसेज पर
और ना ही कोई मुझसे मिलने में रुचि लेता है
मुझे लोग इस तरीके से इग्नोर करते है
जैसे एक शोकेस में एक शो पीस को किया जाता है
मुझे लोगों को सामने से मेसेज या कॉल करके
हाल चाल पूछना पड़ता है
लेकिन मेरा हाल चाल पूछनेवाला कोई नहीं है
अगर मैं सामने से किसी से बात ना करूं
तो किसको पता भी नहीं चलेगा
में कहां पर हूं, क्या कर रहा हूं
मैं जिंदा भी हूं या नहीं
मुझे अपने वजूद का अहसास भी सामने से दिलाना पड़ता है
वैसे तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता
कि कोई मुझसे बात करे या न करें
क्यूंकि मुझे अकेले रहना ज्यादा पसंद है
पर कभी कभी ऐसा होता है ना
की कोई ऐसा होना चाहिए
जिनके साथ आप अपने दिल कि फिलिंग्स को बांट सको
अपने इमोशन्स को बांट सको
आपने दिन भर क्या-क्या किया
तुम्हारे साथ क्या अच्छा हुआ
तुम्हारे साथ क्या बुरा हुआ
तुम उसके सामने सब कुछ बयां कर पाओ
जो तुम्हें सुनने में रुचि लेता हो
काश मेरे जीवन में मुझे समझनेवाला कोई होता
जानते तो बहुत है
पर काश मुझे कोई पहचाननेवाला होता
काश ... काश ... काश ...