अपने ख्वाबों से अब
कर ली मैंने यारी है
किसी और से नहीं अब
खुदसे मिलने की तैयारी है
देखते ही देखते वो मेरे
ख्वाबों से टकराकर चले गए
वही तो है जो मेरे
ख्वाबों को चुराकर ले गए
क्यों आते हो तुम मेरे संग
रंग जाओ ना तुम मेरे रंग
नहीं रंगना चाहता में तुम्हारे रंग
पर अपने रंगो से ही खेलो ना तुम मेरे संग
ये जिंदगी नयी है, दौर नया है
पर यहां लगता ख्वाहिशों का मेला
वही पुराना है, वही पुराना है
जहां हर किसी को चाहिए चांदी और सोना है
इसके चक्कर में हर चांदनी रात में बस रोना है
सोने के चक्कर में भूल रहे लोग सोना है
सोने के आगे, सोने के अलावा
जो है मिलनेवाला, वो कुछ अंजाना है
पर कर लेते तुम अगर उस अनजान से दोस्ती
तो शायद ये दुनिया तुम्हें ना कोसती
जानते तो है लोग दुनिया में सब कुछ नया
पाना चाहते तो है लोग सब कुछ नया
जो आज तक किसीने ना हो पाया
भले ही "ना" कर दे उसका खुदका सीना
फिर भी लेता जायेगा वो अंगड़ाइयां
दौड़ता जायेगा वो उस अंधी दौड़ में
कभी शाम की छांव में
तो कभी दोपहर की धूप में
कभी उजालों के उजालों में
तो कभी रात की तन्हाइयों में
पर फिर भी लौटनेवाला वो खाली हाथ ही है
क्यूंकि जेब उसने अपनी खाली करवा रखी है
चलता रहेगा वो उसी दौड़ में
या किसी और की मैराथन में
जहां लोग उसको चलवा रहे होंगे
अपने स्वार्थ की खातिर नचवा रहे होंगे
फिर भले ही किसी जगह हर साल
लगते लूटेरों के मेले होंगे
अगर जान भी लिया हमने सब कुछ
पर नहीं किया तुमने खुद कुछ
और बैठे रहे किसी और के भरोसे
तो जवाब क्या दोगे बरखुदार
जब आयेगा मौत का पैगाम
जब आयेगा मौत का पैगाम
अपने ख्वाबों से अब
कर ली मैंने यारी है
किसी और से नहीं अब
खुदसे मिलने की तैयारी है