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कर्मों की स्याही

14 August 2024 by
Jepin Tank

अपने कर्मों की स्याही से

कुछ लिख चलो

ए मेरे बहादुर योद्धाओं

कुछ ऐसी गाथा लिख चलो


जो किसी ने ना कभी देखा हो

ना कभी कुछ सुना हो

ऐसा कुछ तुम कर चलो

ऐसा कुछ तुम कर चलो


कुछ अनजाना सा, अनदेखा सा

कुछ पुरानी यादों के सहारे

तो कुछ नई अदाओं के साथ

तुम नए सिरे से

फिर से जी चलो ... फिर से जी चलो


ए मेरे बहादुर सिपाहियों

तुम कुछ तो कर चलो


जिसका ख्वाब तुमने संजोया था

जिसे पाने का बीज तुमने बोया था

जिसके सहारे तुमने रातें काटी थी

जिस उजले सवेरे का तुम इंतजार करते थे

उसे याद करके ही सही

लेकिन तुम, सूरज बन चमक चलो

तुम, सूरज बन चमक चलो


ए मेरे बहादुर सैनीको

तुम कुछ तो कर चलो


चाहो तो कलम बन जाओ

या स्याही बन संवर जाओ

चाहो तो उजला सवेरा बन जाओ

या शीतल शाम बन संभल जाओ

चाहो तो कड़कड़ाती धूप बन जाओ

या किसी से छाया बन लिपट जाओ


पर जो भी करो, जो भी बनो तुम

अपने वजूद को कभी ना बोलो

अपने अस्तित्व को कभी ना मिटने दो

ऐसा कुछ तुम मीट चलो

ऐसा कुछ तुम मीट चलो


ए मेरे बहादुर वीरो

ऐसा कुछ तुम कर चलो


अपनी स्याही के लेखक तुम स्वयं बनो

या चाहो तो कवि भी बन चलो

अब ना किसी और के लिए

किसी और से तुम बैर करो


तुम अपने को अपनों से बेहतर जान सकते हो

तुम खुदको खुद से बेहतर संभाल सकते हो

ना कभी खुद को बेमतलब बेसहारा समझो

ऐसा कुछ तुम लिख चलो

ऐसा कुछ तुम लिख चलो


ए मेरे जांबाज सिपाहीयो

ऐसा कुछ तुम कर चलो


अपने कर्मों की स्याही से

कुछ लिख चलो

ए मेरे बहादुर योद्धाओं

कुछ ऐसी गाथा लिख चलो


जो किसी ने ना कभी देखा हो

ना कभी कुछ सुना हो

ऐसा कुछ तुम कर चलो

ऐसा कुछ तुम कर चलो


Jepin Tank 14 August 2024
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