चल चल तूं भीड़ चल
उन टकराती राहों पे
चल चल तूं अकेला चल
उन अंधेरी कश्तियों पे
चाहे कोई साथ दे ना दे
चाहे कोई साथ चले ना चले
पर तूं घबराना नहीं
डर के मारे कहीं रूक जाना नहीं
थोड़ी सी हिम्मत जुटा
सपनों का बांध जूता
हाथ बढ़ा, साथ जूटा
उन उलझी हुई सी तन्हाइयों पे
चल चल तूं अकेला चल
इन कागज़ की नावों पे
एक ख्वाब सजा
आठों प्रहर बस ऊसीके ख्वाबों में लग जा
सभी प्रहर उसीकी ख्वाहिशें किया कर
उन ख्वाबों को पूरा करने में लग जा
ख्वाबों के महल बांध
ना कोई जूठी तसल्ली बांध
थोड़ी कोशिश कर, एक और ख्वाहिश कर
कर कर तूं हिम्मत कर
उन असमंजस भरे विचारों पे
चल चल तूं अकेला चल
उन रेत से ख्वाबों पे
एक समय आयेगा
जब लोग जूठी तसल्ली देंगे
एक ख्वाब सजेगा
जब लोग जूठा दिलासा देंगे
साथ चलने के, ना साथ छोड़ने के
जूठे वादे किया करेंगे
भले ही तुम मिन्नते कर लो
चाहे थोड़े से ज्यादा तुम गिड़गिड़ालो
पर बीच मजदार में वो छोड़ जायेंगे
पर तूं हार मत मान
तूं निराश मत हो
उन मंदबुद्धि सी नादानियों पे
चल चल तूं अकेला चल
उन सुनहरे से ख्वाबों पे
आसू भी आयेंगे
रोना भी आयेगा
वो ख्वाब तोड़ा भी जायेगा
वो महल टूटा सा, बिखरा सा
नजर भी आयेगा
फिर भी तूं एक और कोशिश कर
एक और ख्वाब सजा
एक और ख्वाहिश पाल
इन गुलामों की बस्ती में
चल चल तूं अकेला चल
उन जहरीलें रास्तों पे
चल चल तूं भीड़ चल
उन टकराती राहों पे
चल चल तूं अकेला चल
उन अंधेरी कश्तियों पे