कुछ तो होना ही चाहिए
तेरा और मेरा मिलना
मिलकर खो जाना
खोकर यादों में डूब जाना
कुछ तो होना ही चाहिए
ऐसे अचानक ही मिल जाना
मिलकर दो पल ठहर जाना
दोनों के विचारों का एक हो जाना
आंखों को अल्फाज देकर बात कर लेना
तो उसमें कुछ तो होना ही चाहिए
पता नहीं, उसको क्या नाम दूं
उसे दोस्ती बोलूं या
दोस्ती से बढ़कर कुछ और कहूं
या, आधे में पूरा उसे प्रेम कहना
या फिर, मेरे अंतरमन का उसे वहम कहना
हमारी उस मुलाकात को क्या नाम देना चाहिए
पर अगर हम अंजाने में ही टकरा गए हैं
टकराकर दो पल ठहर कर खड़े हो गए हैं
खड़े रहकर एकदूजे में खो गए हैं
और समय से दूर चले गए हैं
तो उसमें भी कुछ तो होना ही चाहिए