मरना तो एक दिन सभी को है ही
तो मौत से भी क्यों डरा जाए
चाहे परिस्थिति कैसी भी हो
क्यों ना फिर से जी लिया जाए
जैसे-जैसे वो पास आए
तूं हौंसला रखता जा
शब्दों से नहीं तूं
अपने कर्मों से जवाब दिए जा
पता नहीं किस घड़ी वो सामने आ जाए
पर क्या फर्क पड़ता है
तूने अगर खुल कर दिया है
अपनी उस जिंदगी को
अभी अगर वह तुझे लेने भी आए
तो अपनी बाहें फैला
हाथ थाम और लग जा गले
या दामन थाम ले अपनी उस मौत का
अगर तूने जिया है उस जिंदगी को
जो बहुतों के नसीब में नहीं
तो वैसी मौत से भी क्यों कतराना
जो बहुतों के नसीब में नहीं
जिंदगी से जो भी शिकवे हो
भूल जा उस शिकवे को
और एक हसीन मुस्कान लिए
लगा ले सीने से अपनी उस मौत को
मरना तो एक दिन सभी को है ही
तो मौत से भी क्यों डरा जाए
चाहे परिस्थिति कैसी भी हो
क्यों ना फिर से जी लिया जाए