सच में तुम भी ना
बहुत ज्यादा अजीब हो
जब मैं तुम्हारे पास आता हूं
पास आकर तुम्हारे बालों को सहलाता हूं
तुम्हारे साथ कुछ मीठे पल बिताना लगता हूं
दिन भर तुमसे बात कर किया करता हूं
मेरी छोटी बड़ी सभी बातों का गवाह तुम्हें बना लिया करता हूं
नींदों में भी आकर तुम्हें छेड़ जाया करता हूं
दिलों में घुसकर वार कर लिया करता हूं
तब तो तुम मुझसे दूर भागती रहती हो
अपना सुरूर दिखाती फिरती हो
अपना घमंड दिखाती रहती हो
पता नहीं तुम कौन सी बड़ी तोप हो जैसे
ऐसा जताती फिरती हो
और जब मैं तुमसे दूर जा रहा हूं
तुम्हारी जिंदगी से हमेशा के लिए भाग रहा हूं
मैं सताना बंद करनेवाला हूं
तुम्हें हमेशा के लिए अलविदा बोलने वाला हूं
तब तुम खुश होने की जगह दुखी रहती हो
सिर्फ मेरे ख्यालातों में डूबी रहती हो
मुझसे मिलने के बहाने ढूंढती फिरती हो
मेरे लिए दिलों के जरिए खत भेजती रहती हो
मैं बात ना करूं
तो तुम सामने से बात कर लिया करती हो
अगर मैं रूठ जाता हूं
तो तुम ही सामने से आकर मना लिया करती हो
आंखों से भी ऐसा जताती हो
जैसे हम दोनों सिर्फ एक दूजे के लिए बने हो
और मेरे पास आने का जिक्र करती रहती हो
मुझे कस के गले लगाने का मौका ढूंढती रहती हो
फिर भी हम दोनों के दरमियां ऐसा कुछ नहीं
ना प्रेम है, ना कुछ और है
ऐसा तुम बोलती फिरती हो
और खुद से भी झूठ बोलती चलती हो
सच में मेरी जान
तुम बहुत ही ज्यादा अजीब हो
पर फिर भी अब तो तुम ही मेरी कशिश हो
अब तो तुम ही मेरी तपिश हो
इस धड़कते दिल की आखिरी ख्वाहिश हो
इस बरसात की आखरी गुजारिश हो