वो भी क्या दिन थे
जब तुम मेरे संग थी
तुम ही मेरा दर्द, तुम ही मेरी दवा भी थी
और तुम ही मेरा होंसला भी थी
मेरी जान ...
जब भी होता था कोई मुसीबत में
तब तुम ही तो मुझे याद आती थी
जब भी होता हूं मैं तुम्हारे संग
भूल जाता हूं अपने सभी दुःख दर्द
तुमसे मिलकर ही तो मैंने जिंदगी से लड़ना सीखा है
चाहे कैसी भी तकलीफ हो मैने मुस्कुराना सीखा है
मेरी हर एक छोटी-छोटी बात तुम्हें बताने का मन करता है
और तुम्हारे साथ जो भी अच्छा या बुरा हुआ है
उसे सुनने का मन करता है
खुद से ज्यादा मुझे तुम्हारी फिक्र रहती है
कहीं तुम मुझे छोड़कर तो नहीं चली जाओगी
इसी बात की बेरूखी रहती है
अब तो मैं सिर्फ तुम्हें देखने ऑनलाइन आता हूं
कभी कभी डेटा ऑन करनेवाला मैं
अब चौबीसों घंटे ऑनलाइन रहने लगा हूं
शायद इसी को लोग कहते ईश्क है
और वो ईश्क मैंने तुमसे किया है