मोहब्बत तो महज एक बहाना था
मुझे कुछ चीजों से रुबरू कराकर जो जाना था
माना, कि जानेवाला तो कभी मेरा था ही नहीं
फिर भी, प्यार के वो एहसास जरिए
मुझे कुछ सिखाकर जो जाना था
आईने के सामने रुबरू देखा करता था में
जब भी आंखे खुलती थी मेरी
उसीका साक्षात्कार पाता था में
फिर भी अगर हुआ कुछ ऐसा
दिल का आइना भी टूट गया
फिर ये पूरा जहान भी ओजल सा नजर आने लग गया
पर ऐसे शख्स से मेरा मिलना
मिलकर यहां घर बसाकर बस जाना
किसी खूबसूरत सी वादियों में छुप जाना
और समय आने पर चिड़िया बन उड़ जाना
इन्ही सब खूबसूरत से लम्हों के जरिए
मुझे कुछ तो सिखाकर जाना था
कुछ अलग सी बात तो थी उसमें
कुछ खानदानी सी लायकात भी थी उसमें
सिर्फ दिल ही नहीं
मेरी रूह तक बस गई थी उसमें
मेरी आत्मा तक गिरवी पड़ी हो जैसे उसके पास
नहीं लगता अब उसके जितना कोई खास
नहीं है अब किसी और से भी उस जितनी आस
मेरा तन मन धन सब हो जैसे उसके आस पास
फिर भी, अगर न हो सका वो मेरा
तो मेरा होने का स्वांग रचाकर
मुझे थोड़ा बहुत ही सही
लेकिन कुछ तो सिखाकर
उसे एक ना एक दिन तो जरूर जाना ही था
मोहब्बत तो महज एक बहाना था
और उसका मेरे जीवन में आना
तो जैसे कुदरत का कोई खजाना था
मोहब्बत तो महज एक बहाना था