Skip to Content

मृत्युघाट

14 August 2024 by
Jepin Tank

ये शराफतों की गली है

यहां सपने देखना अंजाना है

भले ही सपना

वो तुम्हारा कितना ही पुराना है


यहां सपनो पर ना चलता तुम्हारा कोई जोर है

भले ही बनाता वो तुम्हें कमजोर है

क्योंकि अपनों का चलता यहां पर शोर है


तुम्हारी हर एक सांस पर सिर्फ उन्ही का वर्चस्व है

भले ही छीन लिया जाता हो तुम्हारा सर्वस्व है


कभी भावुक करके रोकर-रुलाकर

तो कभी धमकाने का धतिंग करकर

तो कभी ना अपनाने का ढोंग रचकर


वो पा लेते तुम पर अपना काबू है

और तभी लोग अक्सर हो जाते बेकाबू है


अपनों की खाल में छिपे वो भेड़िये है

भले ही वास्तव में वो डरपोक चूहिये है


तुम्हें कब उठना है, कब सोना है

तुम्हें कब जागना है, कब सपने देखना है

इन सब पर भी रखते वो अपना नियंत्रण है

भले ही बिगड़ जाता तुम्हारा रचना तंत्र है


पर इन सब से वाकिफ होकर भी वो अनजान है

अनजान ना सही, लेकिन सब के सब परेशान है


वो नहीं समझनेवाले, तुम्हारे जज़्बात को

वो नहीं डालनेवाले घास, तुम्हारे हालात को


भले ही चढ़ जाओ, तुम मृत्यु के घाट को

भले ही चढ़ जाओ, तुम मृत्यु के घाट को


ये शराफतों की गली है

यहां सपने देखना अंजाना है

भले ही सपना

वो तुम्हारा कितना ही पुराना है

Jepin Tank 14 August 2024
Tags
Archive