जहां भी मैं देखूं, यहाँ सभी ने पहेने हुए मुखौटे है,
कैसे मैं आपको बताऊं, यहाँ तो सभी दिलजले है,
लोगो की खुशियों से उन्हें होती जलन है,
लोगो के घर में आग लगाना ही उनका मकसद है
खुद की खुशियों के उन्हें पड़े फांफे है,
दूसरो को खुश देखकर वही लोग जलते है
लोगो के घर में तांक-झांक करना ही उनको भाता है,
खुद के ऊपर ध्यान देना उन्हें कहां आता है
खुद के बच्चे पर तो उनकी निगाहें जाती नहीं,
और शर्माजी के बच्चे के मार्क्स से उनकी निगाहें हटती नहीं
खुद की बच्ची का तो कोई ठिकाना नहीं,
और दूसरो की बच्चियों को चरित्रहीन साबित करने से उनको फुरसत नहीं
खुद के ऊपर तो कभी उनका ध्यान जाता नहीं,
और पड़ोसियों की मुसीबतों के मजे लेने से उनका ध्यान हटता नहीं
प्यार नाम के शब्द से उनका कोई नाता नहीं,
और प्यार निभाने से उनका कोई वास्ता नहीं
लोगो की खुशियों में खुशी ढूंढना उन्हें आता नहीं,
और खुद को खुश देखना उनके भाग्य में लिखा ही नहीं
अल्टो वाले को चाहिए आज लेंबोर्गिनी है,
इसी बात की तो सबको घमघिनी है
समाज के खोखले रिवाजों को देखकर उन्हें आती नहीं अक्ल है,
हम तो कम अक्ल है ही लेकिन वो भी आज हुए बेनकाब है
जहां भी मैं जाऊं सभी ने पहन रखा एक मुखौटा है,
किसी ने प्यार का तो किसी ने नफरत का पहन रखा एक चोला है
कुछ लोग मुखौटे के पीछे पालते बैर है,
सापों से भी खतरनाक उनका जैर है,
इसलिए पहेचान उस पाखंडी को वर्ना हो जानी बहुत देर है