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मुलाकातें

14 August 2024 by
Jepin Tank

वो मुलाकातें बहुत याद आती है

वो यादें आज भी तड़पाती है


जब तुम मेरी खिड़कियों से गुजरती थी

मैं तुम में डूब जाया करता था

या कहीं खुदमें ही को जाया करता था

और तुम बस मौन की चादर ओढ़े

यूं ही मुस्कुरा दिया करती थी

वो सब बातें आज भी याद आती है

वो सब यादें आज भी मुस्काती है


जब तुम मुझसे बाते करते थकती ना थी

जब हम दिन रात एकदूजे में

करवटें लिए, आहटें भरे खो जाया करते थे

और दिन कब ढल जाता था

या नया सवेरा कब आ जाता था

इन सब बातों से बेअंजान, बेखबर थे

वो सब दिन आज भी याद आते है

वो सब पुराने दिन आज भी तड़पाते है


जब मैं तुम्हें छोड़ जाया करता था

बिन वजह ही, बालकनी में झांक जाया करता था

तुम्हें याद कर लिया करता था

तुम्हारी खूबसुरत सी तसवीर देख

सुहाने से ख्वाब सजा लिया करता था

वो सब नादानियां आज भी याद आती है

वो सब महेफिलें आज भी तड़पाती है


जब तुम मेरे संग बारिशों में, भीग जाया करती थी

जब तुम मेरे रंग में रंग जाने का, जुमखा पहना करती थी

जब हम दोनो इस दुनिया से दूर

कहीं अपने में ही मशरुफ

बाहों में बाहें भरे खो जाया करते थे

उन शरारती निगाहों में डूब जाया करते थे

वो सब मौसमे आज भी याद आते है

वो सब ऋतुएं आज भी तड़पाती है


जब तुम्हारी जुल्फें मेरे मुंह से होकर

कुछ यूं ही शरमाकर, गुजर जाया करती थी

जब तुम्हारी पायल की छमछम की आवाज

मेरे कानो को सुकून दे जाया करती थी

जब हम दोनों बिन वजह ही मिल लिया करते थे

मिलकर अंजानी सी दो बातें कर लिया करते थे

वो सब दिन आज भी याद आते है

वो सब सवेरे आज भी तड़पाते है


वो हमारी आखिरी मुलाकात

जब बिन वजह ही हम बिछड़ गए थे

दिलों की धड़कनों में अल्फाज़ तो बहुत थे

पर वो अल्फाज़, कभी भी शब्द नहीं बन पाये थे

हजारों बातें होने के बावजूद

हम बिन कुछ बोले, बिन कुछ समझे

बस यूं ही अलग हो गए थे

वो सब रणजीशें आज भी याद आती है

वो सब बंदीशें आज भी तड़पाती है




Jepin Tank 14 August 2024
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