Skip to Content

ना समझ सका तूं

14 August 2024 by
Jepin Tank

ना समझ सका तूं

उसकी ममता ...

ना पहचान सका तूं


हे मां... हे मां...

तूं है कहां... तूं है कहां...

तूं है यहां...तूं है यहां...


जब था तूं उसकी कोख में

ना देखी थी कभी दुनिया तुने

तब उसकी नजरों से

तुम्हारी नजरों को मिलाके

तुम्हे दुनिया दिखाई थी

भले ही तकलीफ कितनी ही उठायी थी

दुनिया की रीति से तुम्हारी पहचान करवाई थी

ना समझ सका तूं

उसकी ममता ...

ना पहचान सका तूं


हे मां... हे मां...

तूं है कहां... तूं है कहां...

तूं है यहां...तूं है यहां...


जब तुने इस दुनिया में पलकें झुकाई थी

अपनी पहली रोशनी तुने यहां गिराई थी

तब उसकी आंखे भी नम हुयी थी

जब इस दुनिया की दौलत के आगे उसने

उससे बढ़कर खुशी पाई थी

तब पूरे शहर में मिठाई बंटवाई थी

ढोल, नगाड़े और शहनाई बजवाई थी


ना समझ सका तूं

उसकी ममता ...

ना पहचान सका तूं


हे मां... हे मां...

तूं है कहां... तूं है कहां...

तूं है यहां...तूं है यहां...


जब हुआ था तूं थोड़ा बड़ा

मां के आंचल से बंधा था यहां

चलना सीखा था तुने पहली बार

गिरगिरकर उठना सीखा था तुने बार-बार

जब पहली बार मां कहकर पुकारा था

मानो, उसके दिल को खुशियों ने संवारा था

तब उसकी नम आंखों को बारिश ने भिगोया था

ना समझ सका तूं

उसकी ममता ...

ना पहचान सका तूं


हे मां... हे मां...

तूं है कहां... तूं है कहां...

तूं है यहां...तूं है यहां...


जाने लगा था तू स्कूल जब

करने लगा था जीद जब

तब तुम्हारे हर एक ख्वाबों को

अपनी पलकों में बसाया था

तुम्हारे ही ख्वाबों की हकीकत को

अपनी आंखों में सजाया था

तब जाकर तूं कुछ बन पाया था


ना समझ सका तूं

उसकी ममता ...

ना पहचान सका तूं


हे मां... हे मां...

तूं है कहां... तूं है कहां...

तूं है यहां...तूं है यहां...


वो मासूम है वो भोलीभाली है

तुम्हारी हर एक बात में आ जाती है

तुम्हारे झूठ को भी सच मान बैठती है

मां है ना...? दोस्त

तुम्हारी हर एक बात मान जाती है

भले ही उसके मन का चीर हरण करने की बात आती है

तब भी जाकर कहीं वो, देवी समान पूजी जाती है

भगवान से पहले भी उसकी पूजा हो पाती है


ना समझ सका तूं

उसकी ममता ...

ना पहचान सका तूं


हे मां... हे मां...

तूं है कहां... तूं है कहां...

तूं है यहां...तूं है यहां...



Jepin Tank 14 August 2024
Tags
Archive