देखो-देखो, वो एक नकाबपोश है
अपनों के भेस में छिपा, वो एक शब्दकोश है
बिना शब्दों के भी वो बहुत कुछ बोल जाता है
धतिंग करके वो सबको अपना बोल जाता है
धतिंग करना ही तो उनको आता है
सच का सामना करना उनको कहां भाता है
अगर कोई दिखा दे, उन्हें जरा सा भी आइना
तो तुरंत लग जाती है, उन्हें मिर्ची
क्योंकि सच सुनना, वो कभी सीख पाए ना
सीखा तो है उन्होंने, आज तक बहोत कुछ
कभी अपने वजूद का गुरुर
तो कभी दुनियादारी की आड़ में किया
अपनों से, गैरों से भी बदतर सुलूख
पर पता नहीं क्यों, वो आज भी जिंदा है
किसी पर अपना हक जताता हुआ, वो आज भी लिपटा है
जैसे इस दुनिया में, वो जीना ही भूल चुका है
अपनी जोर जबरदस्ती के जरिए, वो तुम्हें चुना लगा चुका है
ऐसे लोग कभी किसी के नहीं होते
भले ही वो तुम्हें शांत समंदर से नजर आते हो
पर अगर तुम उनके पदचिह्नों पर चले
तो उनके विचारों के तूफान से
ऐसे लोग तुम्हें बहा कर ले जाते है
इसलिए कह रहा हूं बरखुदार
बनो तुम थोड़े से खुद्दार
मारो तमाचा अपने शब्दों को जोड़
और कह दो अलविदा, बचा लो खुदको
उनसे अपनी मंजिलों को मोड़
ऐसे लोग भले ही दिखते तुम्हें इंसान है
पर ऐसे लोगों से बड़ा ना कोई हैवान है
क्योंकि, ऐसे लोगों में हर हमेेश बसता एक शैतान है
और बस यही उनकी पहचान है