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फिर से जी लेते है

14 August 2024 by
Jepin Tank

एक आंख मिचौली का खेल

हम भी खेल लेते हैं

हम कभी उठे ही ना

ऐसा फिर से जी लेते हैं


अनंत से दरिया में

छोटी सी नाव में

खुद के ही हाथ में

प्रकृति के साथ में

एक बार फिर से झूम लेते हैं

ऐसा कुछ हम फिर से जी लेते हैं


क्या पता

कब वह शाम आखरी बन जाए

क्या पता

कब हमारा सूरज भी डूब जाए

छोड़ना इन सब फिक्रो को तुम

हो चलना मदमस्त बेफिक्र तुम

ऐसा एक बार फिर से खुश हो लेते हैं

ऐसा कुछ हम फिर से जी लेते हैं


छुप जाते हैं हम मौत की अंगड़ाईयों में

खो जाते हैं हम रात की तन्हाइयों में

ना कोई ख्वाहिश हो ना कोई आजमाइश हो

बस हो तो सिर्फ मौत ही हो

सोलह श्रृंगार में वो सजी हो

ऐसा एक बार हम फिर से जी लेते हैं

ऐसा कुछ हम फिर से जी लेते हैं


जीवन के उस पार वो खड़ी मिले

किसी प्रेमिका की भांति नजरें बिछाती मिले

नजरें टिकाटी मिले, नजरें झुकाती मिले

अपने होने का पूरा जोर लगाती मिले

फिर भी हंसते हंसते उससे रूबरू हो लेते हैं

ऐसा कुछ हम फिर से जी लेते हैं

Jepin Tank 14 August 2024
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