Skip to Content

प्रीत

14 August 2024 by
Jepin Tank

प्रीत से प्रीत जुड़ गई

जब हम दोनों की मीत मिल गई


नयनो से नयनों तक

नयनों से नयनों पर

हम दोनों की नजरें ठहर गई

मिले कुछ हम इस तरह

मानो सारी दुनिया पीछे छूट गई


चेहरे की वो खूबसूरत बिंदी

हाथों में वो मेहंदी

सोलह शृंगार में वो सजती चली गई

कोई कुदरत का करिश्मा ही मान लो

मानो सारी दुनिया उसकी दीवानी हो गई


होठों की वो मुस्कान

प्रकृति भी है आज मेहरबान

पवन के झोंकों सा पहलवान

आज तो हवा भी बस वही थम गई

मानो फिर से जीने की आस बन गई


वो किसी महलों की रानी

किसी परियों की कहानी सी

सपनों में आती चली गई

जैसे टूटे हो कोई कांच के शीशे

वैसे वो ख्वाबों को तोड़ती चली गई

फिर से दिल में प्यार की चिंगारी जलती चली गई


आई वह सामने जब

नजरे मिलाई हमने जब

कलम भी आज टूट गई

जैसे बिखरा हुआ कुछ समेटना हो

एक के बाद एक दिलों पर वार करती चली गई

उसकी कातिलाना नजर बर्बाद करती चली गई


शीशे भी टूटते चले गए

सपने भी सजते चले गए

टूटी हुई कलम भी आज बोल पड़ी

मुबारक हो दोस्त

वो आज से आपकी अर्धांगिनी बन गई

देखते ही देखते आप के किताब की कहानी बन गई



Jepin Tank 14 August 2024
Tags
Archive