प्रीत से प्रीत जुड़ गई
जब हम दोनों की मीत मिल गई
नयनो से नयनों तक
नयनों से नयनों पर
हम दोनों की नजरें ठहर गई
मिले कुछ हम इस तरह
मानो सारी दुनिया पीछे छूट गई
चेहरे की वो खूबसूरत बिंदी
हाथों में वो मेहंदी
सोलह शृंगार में वो सजती चली गई
कोई कुदरत का करिश्मा ही मान लो
मानो सारी दुनिया उसकी दीवानी हो गई
होठों की वो मुस्कान
प्रकृति भी है आज मेहरबान
पवन के झोंकों सा पहलवान
आज तो हवा भी बस वही थम गई
मानो फिर से जीने की आस बन गई
वो किसी महलों की रानी
किसी परियों की कहानी सी
सपनों में आती चली गई
जैसे टूटे हो कोई कांच के शीशे
वैसे वो ख्वाबों को तोड़ती चली गई
फिर से दिल में प्यार की चिंगारी जलती चली गई
आई वह सामने जब
नजरे मिलाई हमने जब
कलम भी आज टूट गई
जैसे बिखरा हुआ कुछ समेटना हो
एक के बाद एक दिलों पर वार करती चली गई
उसकी कातिलाना नजर बर्बाद करती चली गई
शीशे भी टूटते चले गए
सपने भी सजते चले गए
टूटी हुई कलम भी आज बोल पड़ी
मुबारक हो दोस्त
वो आज से आपकी अर्धांगिनी बन गई
देखते ही देखते आप के किताब की कहानी बन गई