पता नहीं,
लोग प्यार करते क्यों है
अगर उन्हें निभाना ही नहीं आता
तो फिर पता नहीं
लोग प्यार करने का ढोंग करते क्यूं है
पता नहीं
लोगों को इतना मजा क्यों आता है
तुम्हें सताने में
तुम्हारी भावनाओं का मजाक बनाने में
तुम्हारे साथ खिलौनों की भांति खेलने में
अगर वो साथ निभा ही नहीं सकते
तो फिर पता नहीं
लोग प्यार करने का स्वांग रचते क्यूं है
पता नहीं
लोगों को इतना मजा क्यों आता है
तुम्हारे साथ खेलने में
तुम्हें डराने में, तुम्हें सताने में
तुम्हारी कमजोरियों का फायदा उठाने में
अगर वो साथ चल नहीं सकते
तो फिर पता नहीं
लोग प्यार से प्यार का ढोंग करते क्यूं है
उन्हें भली भांति पता है
तुम्हारे बारे में सब कुछ
कहां पर तुम जीतते हो
कहां पर तुम हारते हो
कहां पर तुम रुकते हो
कहां पर तुम ठहरते हो
तुम्हारी कामियाबी, तुम्हारी नाकामियाबी
सब कुछ, मतलब सब कुछ
इसीलिए तो उन्हे भी मजा आता है
तुम्हें अपने हाथ की कठपुतलियां बनाने में
और तुम्हें हारता हुआ देखकर खुश होने में
तुम्हें शायद पता नहीं
इसीलिए लोग प्यार का चोला पहनकर
नफरत का गुनघरू बांधते ही है
और प्यार का बनावटी ताज अपने माथे मढ़ते ही है