क्या तुम्हे मुझसे अब भी प्यार नहीं?
मैं तुम्हारे ख्यालों में बसने सा लगा हूं
मैं तुम्हारी निगाहों में समाने सा लगा हूं
सच बताओ तुम ... अब तो बताओ तुम
यूं ना पड़पाओ तुम ...
क्या तुम्हें मुझसे अब भी प्यार नहीं?
तुम्हारी हर बातों में बस मेरा नाम होता है
तुम्हारे हर एक अल्फाजों में मेरा जिक्र होता है
सच बताओ तुम...अब तो बताओ तुम
यूं ना तड़पाओ तुम...यूं ना सताओ तुम
क्या तुम्हें मुझसे अब भी प्यार नहीं?
तुमने अपनी हर धड़कन बस मेरे नाम कर दी है
तुमने अपनी हर सड़क बस मेरे नाम लिख दी है
तुम्हारी हर सांसों पे मुझे बस मेरा नाम दिखता है
तुम्हारी दोनों आंखों में मुझे बस में ही में दिखता हूं
सच बताओ तुम ... अब तो बताओ तुम
यूं ना पड़पाओ तुम ...
क्या तुम्हें मुझसे अब भी प्यार नहीं?
मैं तुम्हारे सपनों का हिस्सा बनने लगा हूं
मैं तुम्हारे अपनों की बातों का किस्सा बनने लगा हूं
तुम्हारी डायरी बन, मैं तुम्हारे करीब आने लगा हूं
डायरी के शब्द बन, मैं तीर चलाने लगा हूं
सच बताओ तुम...अब तो बताओ तुम
यूं ना तड़पाओ तुम...यूं ना सताओ तुम
क्या तुम्हें मुझसे अब भी प्यार नहीं?
मेरे नाम की तुम अंगड़ाइयां लेने लगी हो
मुझे याद कर कर तुम करवटें बदलने लगी हो
मेरे नाम का मंगलसूत्र पहनने का ख्वाब सजाने लगी हो
मेरे नाम के सिंदूर को अपना स्वाभिमान समझने लगी हो
सच बताओ तुम ... अब तो बताओ तुम
यूं ना पड़पाओ तुम ...
क्या तुम्हें मुझसे अब भी प्यार नहीं?
तुम अपनी हर छोटी-बड़ी बातें मुझसे साजा करने लगी हो
चाहे रात हो या दिन, सिर्फ और सिर्फ मुझसे ही बातें करने लगी हो
मुझे मुझसे भी ज्यादा समझने का प्रयास करने लगी हो
रोज किसी ना किसी बहाने से मुझसे मिलने की आस सजाने लगी हो
सच बताओ तुम...अब तो बताओ तुम
यूं ना तड़पाओ तुम...यूं ना सताओ तुम
क्या तुम्हें मुझसे अब भी प्यार नहीं?
तुम लाख कोशिशें करो, तुम लाख मना करो
तुम लाख आरजू करो, तुम लाख तमन्ना करो
मुझे तुमसे दूर करने की
खुदको खुदसे जुदा करने की
पर...
मैं तुम्हारे दिल दिमाग में बस सा गया हूं
जब गजरा बन बालों में सज सा गया हूं
तुम्हारे यादों की तस्वीरों में छप सा गया हूं
जब चित्र बन रंगो में छा सा गया हूं
बिन बुलाये भी तुम्हें सताने सा लगा हूं
छिपकली बोल तुम्हें चिडाने सा लगा हूं
सच बताओ तुम ... अब तो बताओ तुम
यूं ना पड़पाओ तुम ...
क्या तुम्हें मुझसे अब भी प्यार नहीं?
तुम रात दिन बस मुझे ही मेसेज किया करती हो
बिन बात किये ना दिन में सुकून है, ना रातों में चैन है
मेरे हर एक मेसेज का तुरंत ही जवाब देती हो
में अगर ना करूं बात, तो मुझसे चीड़ जाती हो
में अगर कर लूं बात, तो रूठने का स्वांग रचती हो
पता नहीं अब तुम क्या चाहती हो
ना मुझे अपना बनाना चाहती हो
ना किसी और का बनने देना चाहती हो
अब तो सच-सच बता दो
अब तो दिल खोल के बता दो
अब तो यूं सताना बंध करो तुम
अब तो यूं तड़पाना बंध करो तुम
क्या तुम्हें मुझसे अब भी प्यार नहीं?
मैं तुम्हारे ख्यालों में बसने सा लगा हूं
मैं तुम्हारी निगाहों में समाने सा लगा हूं
सच बताओ तुम ... अब तो बताओ तुम
यूं ना पड़पाओ तुम ...
क्या तुम्हें मुझसे अब भी प्यार नहीं?