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रामवन

14 August 2024 by
Jepin Tank

जब बाप था अपने चरम सीमा पर

जब लोग भाग रहे थे सब अपने सीमांत तक


तीनों लोगों में भी त्राहि त्राहि मची हुई थी

देवता गण भी सब डरे हुए थे

समस्या का समाधान समेट रहे थे

किसी गीदड़ की भांति छुप रहे थे

ना कोई रावण को ललकार रहे थे


वह खुनों से भरा विष पिया जा रहा था

मजबूरों की मजबूरी का फायदा लिया जा रहा था

जब पूरे जग में भय का हो रहा था बोलबाला

ना अपनी मर्जी का हो रहा था कोई बोलचाला


जब पाप पुण्य का खेल खेला जा रहा था

मैं ही हूं सर्वशक्तिमान, अजय-अमर

इस बात का अभिमान किया जा रहा था


ना किसी को सुकून से बैठने दिया जा रहा था

तीनों लोकों का स्वामी समझने की भूल किया जा रहा था

ना इंसानों में था कोई सुकून

ना देवतागणों में भी बचा था कोई जुनून


तब सब लोग जाते हैं सृष्टि रचयिता के पास

इस संसार को चलानेवाले प्रणेता के पास

इस जग में बसने वाले जनेता के पास


लगाई जाती है मदद की गुहार

जैसे हो तीनों लोकों में फैला कोरोना का बुखार


धर्म भी जब बस जुबान पर रह गया था

कर्म से वह विफल हो चला था

तब धर्म की पुनः स्थापना को

पाप को अपनी अंतिम अवस्था पहुंचाने को

एक युगपुरुष अवतरित होते हैं

मानो किसी बगीचे में फिर से फूल फलित होते हैं


रघुकुल के वह दीपक थे

राजा दशरथ के वह कुलदीप थे

माता कौशल्या के वह बहुत समीप थे

नाम रखा गया उनका राम था

जो स्वयं प्रभु विष्णु के अवतार थे

जो आगे चलकर कहलाए

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम थे


जो स्वयं विधि का विधान थे

जो खुद ही विधि का विधाता थे

समस्त मानव जाति के पालनहार थे

बनके आए जो दुष्टों के काल थे

हनुमान जी के रूप में महाकाल उनके साथ थे

अनुज के रूप में लक्ष्मण उनके संगाथ थे


समस्या तो बहुत ही उनके भी जीवन में

मिलनेवाला तो उन्हें राज सिंहासन था

पर मिल गया बनवास का कड़वा बैर था

लेकिन अपने पिताजी की आज्ञा से बड़ा

ना उनके जीवन में और कोई ध्येय था

माता कैकेयी ने अपने मुंह से उगला जहर था

उनके साथ ही एक दासी के मन में भी बड़ा मेल था


पर जो भी हो...


श्रीराम तो श्रीराम थे

बिना सवाल किए वह चले गए वनवास थे

और चौदा सालों के लिए वह गए कारावास थे


पर तब उनके साथ माता सीता भी थे

और छोटे अनुज के रूप में भ्राता लक्ष्मण भी तो थे

तीनों लोग चले जाते हैं उस कारावास में

चौदा बरस के लिए वनों से लिपटे वनवास में


पर तभी दुष्ट रावण को ज्ञात होता है

माता सीता के बारे में

प्रभु की अर्धांगिनी के बारे में


तब वह दुष्ट छल कपट से उनको पाना चाहता है

माता सीता को अपने चंगुल में फांसना चाहता है


जिसके लिए वह हिरण नाम का जाल बिछाता है

जिसमें वह माता सीता को पुष्पक में बिठा जाता है

अपने वतन लंका में वो कैद कर लेता है

किसी पिंजरे समान बाग में वह जकड़ लेता है


पर किसी स्त्री को बिन मर्जी के छू नहीं सकता

इस श्राप से वह पीड़ित है

इसलिए माता सीता को वह हासिल नहीं कर पाएगा

इस बात से वह गमगीन है


माता सीता एक पवित्र नारी थी

वही दुर्गा, वही महाकाली थी

वही जयलक्ष्मी, वही पालनहारी थी


जब प्रभु को रावण का ज्ञान होता है

तब वह संकल्प ले उठते हैं

माता सीता को कैद मुक्त कराने का

पूरी लंका को तबाह कर लेने का

सोने से भरी धूल को तबाह कर देने का


वह चाहते तो बुला सकते अपने पिता की सेना थे

पर कोई भी बड़ा या छोटा नहीं होता

इसी बात को समझाने वह जोड़ लेते वानर सेना है


पहले शांति दूत बनाकर भेजा गया हनुमान को था

पर वह घमंडी तो समझता अपने को सर्वशक्तिमान था

तीनों लोकों में उस जैसा कोई बलवान नहीं

इस बात का उसे अभिमान था


पत्थर से पत्थर मिलाकर बनाया जाता पूल है

जैसे सजाया जा रहा हो प्रभु का कोई सुंदर फूल है

और अपहरण करना रावण की सबसे बड़ी भूल है


युद्ध शुरू होता है

तीरों से तीर चलाए जाते हैं

बाणों से बाण टकराए जाते हैं

मृत्यु की शैया पर रावण को सजाया जाता है

अपने कर्मों के फलों को उसे परोसा जाता है

मोती की माला भी परोयी जाती है

जो वहां के लोगों की मुंह ज़ुबानी है


पूरी धरा भी हाहाकार हो उठती है

लोगों के लहू से वो पिघल उठती है

बाणों की रोशनी से चमक उठती है

मिट्टी में सब विलीन हो उठता है


अपने कर्मों के फल दिए जाते हैं

आत्मा के यमराज से मिलन कराये जाते है


अंत में जीत का बिगुल बज उठता है

चारों ओर, तीनों लोकों में, दसों दिशाओं में

गुलामी से मुक्ति का, नए सवेरे का

सिया और राम के मिलन का

इंसानों के अगले आयाम तक का

शोर बज उठता है माहौल सज उठता है


जो अंत में...

किसी बांसुरी की धुन में समा जाता है

किसी बांसुरी की धुन में समा जाता है

किसी बांसुरी की धुन में समा जाता है

Jepin Tank 14 August 2024
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