रोना तुम्हारी कमजोरी नहीं,
बल्कि ताकत बन सकता है
अगर तुम ढंग से रोना सिख जाओ
अपने आंसुओ को छुपाने की जगह
उन्हें बहाना सिख जाओ
ये समाज तो ऐसा ही है
चढ़ते सूरज को सलाम मारना
और डूबते सूरज का मजा लेना
इन्हे बखूबी आता है
पर क्या इन सब बेफालतू लोगों के बीच
तुम्हे ढंग से जीना भाता है
तुम्हारी भी कई ख्वाहिशें होंगी
तुम्हारी भी कई इच्छाएं होंगी
पर बहुत अजीब बात है न
कभी तुम्हें जिम्मेदारियों का नकाब पहनाकर
तो कभी मां बाप की दुआएं देकर
तुम्हें खुलकर जीने से रोक दिया जाता है
अपने सपनों को पीने से टोक दिया जाता है
और बहुत ही सभ्य तरीके से बोल दिया जाता है
लड़के रोते नहीं है, रोना कमजोरी का लक्षण है
रोने पर तो सिर्फ लड़कियों का ही अधिकार है न!
पर मैं पूछता हूं... क्यों ऐसा?
क्यों हर बार हमें सबको
लड़के और लड़की के तराजू में तोलना है
क्यों हम भले अंदर से घूंट रहे हो, दर दर मर रहे हो
पर हमें कुछ भी नहीं बोलना है
और रोने के बारे में कुछ नहीं सोचना है
दर्द तो हमें भी होता है
जब बिन वजह हम पर पढ़ाई का बोझ लाद दिया जाता है
अगर नहीं पढ़ेंगे को कोई लड़की नहीं देगा
ऐसा सरेआम बेशर्मों की तरह मुंह पर बोल दिया जाता है
आवारा कुत्तों से ज्यादा
जब एक नाकामियाब इंसान की कोई कदर नहीं रह जाती
पर काश मेरी भावनाएं लोगों से कुछ बोल पाती
काश मैं लोगों को समझा पाता
इन बेफालतू लोगों के पास कोई काम धंधा है नहीं
पूरा दिन तांका झांकी से ही ये अपनी आंखें सेकते हैं
खामखा ये इस पृथ्वी लोक की
मुफ्त की रोटियां ही तोड़ते हैं
ऐसे लोग किसी के सगे नहीं होते
आज किसी के, तो कल किसी और के
दरवाजों के आगे अपना मुंह मोड़ते है
और बिन वजह ही भौंकते रहते है
पर चाहे तुम्हें अंदर से जैसा भी लगे
तुम्हें जीना होगा
चाहे चल चल के, चाहे दौड़ दौड़ के
चाहे रेंगते रेंगते तुम्हें आगे बढ़ना होगा
अगर रोना आए तो रोना भी होगा
हंसना आए तो हंसना होगा
अगर ठोकर लगे तो थोड़ी देर ठहरकर
फिर से आगे बढ़ना होगा
पर एक बात हमेशा याद रखना...
रोना तुम्हारी कमजोरी नहीं,
बल्कि ताकत बन सकता है
अगर तुम ढंग से रोना सिख जाओ
अपने आंसुओ को छुपाने की जगह
उन्हें बहाना सिख जाओ