अब जब कोई पूछता है, कैसे हो
तो अंदर हजारों सवालात होने के बावजूद बोलना पड़ता है
सब चंगा है सी
अब जब कोई पूछता है, कैसा चल रहा है सब काम काज
अंदर दुखों का समंदर बहने के बावजूद मुस्कुराकर कहना पड़ता है
सब चंगा है सी
क्योंकि,
सच बताऊं
तो अब कोई बचा ही नहीं है
जिसके सामने में खुल्ले पन्नों की तरह
कलम की स्याही बन बह सकूं
जिसके सामने इन आंखों के मोती को
आंसुओ का नाम देकर खोल सकूं
और कह सकूं,
कुछ भी चंगा नहीं है सी
कुछ भी चंगा नहीं है सी
कुछ भी चंगा नहीं है सी