हा ... सच कहा तुमने ...
में ज्यादा बोलता नहीं,
में चुप रहना पसंद करता हूं...
इसलिए नहीं... कि मुझे जवाब देना नहीं आता
बल्कि इसलिए ... कि मूर्खों से बहस करना मेरी फितरत में नहीं
थक चूका हूं ... इस जिंदगी की दौड़ में भागते हुए
जहां ये पता ही नहीं ... कि जाना कहां है
कुछ रास्ते जाने पहचाने से लगते हैं ...
तो कुछ अनजाने से लगते हैं ।।
कुछ चीजे सुलझी हुई सी लगती है ...
तो कुछ उलझी हुई सी पहेली लगती है ।।
जिस गली जाने का कभी मन ना करता था ...
वहां से भी अब रोज गुजरने का मन करता है ।।
पता नहीं अब जिंदगी कौन से मोड़ पे ले जाएगी ...
कुछ पन्ने कोरे रह गए ...
और कुछ यादों ने भर दिए ।।
कुछ हसीन यादें पीछे छूट गई ...
और कुछ यादें संवारना अभी बाकी है ।।
कुछ यादें सज चूकी है ...
और कुछ को सजाना अभी बाकी है ।।
कुछ के तो असली रंग सामने आ गए ...
और कुछ के सामने आना अभी बाकी है ।।
कुछ पन्ने जिंदगी ने छीन लिए ...
तो कुछ पन्नो पर लिखना ही अभी बाकी है ।।