तालों से ताल मिलाते जा
गीतों से गीत गाते जा
सफर सुहाने बनाते जा
शब्दों पे गौर फरमाते जा
यह सफर कोई सुहाना है
यह ताज कोई मस्ताना है
अलबेली मस्तानी सी इन राहों पे
कोई अनजानी सी मस्त अदाओं पे
तूं खुशियों के गीत बजाते जा
तूं धून अपनी बनाते जा
यह शाम की चांदनी
चांद की मस्त जवानी
कोई परियों की कहानी
या ख्वाबों की रानी
बन आंखों में बसता जा
तूं कोशिश अपनी करता जा
कोई सुबह की धूप बन
बरखा का रूप बन
बागों का फूल बन
या अपनी कोई धून बन
तूं सूर नया बनाते जा
तूं सपने नए सजाते जा
कोई कीचड़ का कमल बन
किसी आकाश का चमन बन
फरिश्तों का गगन बन
किसी आवाज में मगन बन
तूं सुगंध अपनी फैलाता जा
तूं महक अपनी बनाता जा
जो बागवन का प्रतीक हो
तुम्हारे बेहद समीप हो
एक लकीर लंबी खींच दो
तड़प अपनी सींच लो
तूं ख्वाब अपने बढ़ाते जा
तूं गीत नया बनाते जा
जो मस्तक का सिंदूर हो
पवित्रता का गुरूर हो
किसी पौधे का नूर हो
खुशबू कोई अनमोल हो
तूं कुछ ऐसा करता जा
तूं कुछ ऐसा बनता जा
जन्मो जन्म का साथ हो
बिछड़ी कोई याद हो
टूटी कोई संगाथ हो
जिसकी तुमको तलाश हो
तूं राग नया बनाते जा
तू धून नई आजमाते जा
चाहे राग ये अनंत हो
बुद्धि तुम्हारी मंद हो
ना दौड़ता तुममें खून हो
भागता बस तुममें जुनून हो
तूं वर्णमाला नई बनाते जा
तूं गीतमाला नई परोते जा
किसी होठों का स्मित बन
मैदान के जंग की जीत बन
विचारों में मनमीत बन
रणजीशों का हित बन
तूं मीत नई करते जा
तूं प्रीत नई बनाते जा
तालों से ताल मिलाते जा
गीतों से गीत गाते जा
सफर सुहाने बनाते जा
शब्दों पे गौर फरमाते जा