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वर्चस्व

14 August 2024 by
Jepin Tank

वर्चस्व की है ये लड़ाई

में महान या तुम

इसी बात की है ये सफाई


इस वर्चस्व की आड़ में

लोग पयगंबर बनना भूल रहे

इस पयगंबर को भूल

लोग आडंबर करना चाह रहे


चाहो तो खुदा कह लो

चाहो तो ईश्वर कह लो

चाहो तो ईशु कह लो

चाहो तो रब कह लो


सब लोग है तो एक ही माटी के दीये


ना सिखाता कोई बैर पालना

ना सिखाता कोई जैर उगलना

क्योंकि वो भी जानते है

वो भी मानते है

वो जैर है सापों से भी पुराना


उनकी बदौलत ना मिल पायेगा

तुम्हें अपना आशियाना अंजाना


इन जेर को उगलकर लोग अपना वजूद पाल लेते

इससे तो बेहतर तुम अनाकोंडा संभाल लेते


जो आ जाता है इनके चक्करों में

गोते लगाता है इनके भवंडरों में


वो कभी ना कभी रूबरू हो ही जायेंगे

इस बात का किसी को पता नहीं, ठिकाना नहीं


लेकिन बेशक, वो उड़ जाता है अपने ही सपनों से

बिछड़ जाता है वो अपने ही अपनों से


क्योंकि ये वो डर है

जिससे आज तक कोई ना बच पाया है

और जो बच गया है

वो फिर जी नहीं पाया है


बनना है अगर तुम्हें महान

भले ही बसता हो तुममें कोई शैतान

तो इन लोगों से पाला पाल लो

तो खुदको तोपों से उड़ा लो


पता चल जायेगी तुम्हें सत्य हकीकत

भले ही सदियों से चली आ रही हो

"वसुधैव कुटुंबकम्" की कहेवत


अब तुम जीतकर भी हार चूके हो

भले ही तुम खुदको संभाल चूके हो

पर जब तुम सत्य को जान लेते हो

तब तुम किसी वारदात को अंजाम देते हो


ये ज्ञानियों की दुनिया है

यहां सबको ज्ञान बांटना है

पर उन ज्ञान में छुपे मकसद को

पहचानना उन्हें कहां आता है


अगर जान गए तुम उस मकसद को

तो तुम मान नहीं सकते गैर किसी को

ना ही तुम अपनों में अपनापन ढूंढोगे

ना ही गैरों में तुम गैरपन देखोगे


उसके बाद रह जायेगा एक ही सवालात

तुम क्या, कब, कैसे, क्यूं कर रहे हो

इसी बात का सत्य ढूंढने में

तुम डूबे रहोगे पूरी 'हवालात'


क्योंकि ...


सवालात का जवाब तो हर किसी के पास मिल जायेगा

पर सवालात का सवाल बहुत कम के नसीब में होगा

पर अगर ढूंढ़ पाए तुम, सवालात के सवालों को

हवालात के अहेवालों को


तो वो तुम्हें कुछ देकर जायेगा

थोड़ा बहुत तुम्हें सताकर जायेगा

जो तुम्हें अंदर-बाहर से झकझोर कर रख देगा

और कुछ नायाब देकर तुमसे दूर चला जायेगा


वर्चस्व की है ये लड़ाई

में महान या तुम

इसी बात की है ये सफाई


Jepin Tank 14 August 2024
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